लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को पटखनी देने के लिए कभी धुर विरोधी रहे बसपा और सपा एक साथ आ गये हैं. इनके साथ आने से प्रदेश की राजनीति में कितना फर्क पड़ेगा इसका प्रमाण फूलपुर और गोरखपुर के चुनाव में दिख चुका है. इनके साथ आने से भाजपा भी परेशान है. खबर है कि 15 जनवरी को मायावती के जन्मदिवस के अवसर पर गठबंधन की घोषणा हो सकती है.
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सपा-बसपा गठबंधन हुआ, तो कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी
लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा ने जिस तरह का गठबंधन करने जा रही है उससे कांग्रेस परेशान है. खबर है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अब अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने के मूड में है. हिंदीपट्टी के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं और वह उत्तर प्रदेश में भी बेहतर की उम्मीद कर रही है. हालांकि 2014 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ राहुल गांधी और सोनिया गांधी की सीट पर ही विजय मिली थी.
भाजपा नहीं दोहरा पायेगी 2014 का प्रदर्शन
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश के 80 में से 71 सीट पर विजय हासिल की थी. पांच पर समाजवादी पार्टी, दो पर कांग्रेस पार्टी जीती थी, जबकि दो अपना दल को मिला था. सबसे बुरी स्थिति बसपा की थी जिसे एक भी सीट नहीं मिला था. लेकिन अब जबकि बसपा और सपा साथ आ रहे हैं और यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बसपा भले ही एक भी सीट ना जीत पायी हो, लेकिन 33 सीटों पर वह दूसरे स्थान पर रही थी और इनमें से 19 सीटें आरक्षित नहीं थी. कहना ना होगा कि ऐसे उम्मीदवार जो दूसरे स्थान पर रहे थे वे भतीजा अखिलेश का साथ पाकर जीत भी हासिल कर सकते हैं.