लखनऊ : उत्तर प्रदेश की चर्चित आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला के लखनऊ आवास पर सीबीआई ने शनिवार को छापा मारा जिसके बाद एक बार फिर वह सुर्खियों में आ गयीं हैं. छापा सूबे के हमीरपुर में हुए अवैध खनन के मामले से जुड़ा बताया जा रहा है. सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली चंद्रकला ने हालांकि अभी तक इस छापे पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. बी चंद्रकला की बात करें तो वह 2008 बैच की यूपी कैडर की आईएएस अधिकारी हैं जो मूल रूप से तेलंगाना की रहने वाली हैं. उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा में 409वीं रैंक प्राप्त की थी. परिवार की बात करें तो चंद्रकला की एक बेटी है और पति रामौलू डिप्टी एग्जिक्यूटिव इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं.
साल 2017 के जनवरी महीने की बात करें तो इस वक्त चंद्रकला के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने मोर्चा खोलने का काम किया था. भाजपा ने उन्हें फौरन हटाये जाने की मांग की थी. चंद्रकला पर आरोप लगाते हुए भाजपा ने कहा था कि वह पार्टी के कार्यक्रमों को प्रभावित करतीं हैं जबकि उनके काम को देखकर लगता है कि वह समाजवादी पार्टी की कार्यकर्ता हैं. निर्वाचन अधिकारी को भाजपा ने शिकायती पत्र भी लिखा था जिसमें पार्टी की ओर से लिखा गया था कि मेरठ चुनाव आचार संहिता का गलत हवाला देकर भाजपा के कार्यक्रमों को अनुमति नहीं दे रही हैं और समाजवादी पार्टी को जितना अधिक हो सके रियायत दे रही है.
साल 2017 के मार्च महीने में भी बी.चन्द्रकला चर्चा में रहीं. इस दौरान बी.चन्द्रकला को एक पत्र मिला जिसे जैश-ए- मोहम्मद ने लिखा था. इस पत्र ने सरकारी महकमे में हड़कंप मचा दी. पत्र मिलने के बाद खुफिया एजेंसियों को मामले की जांच करने को कहा गया था. पत्र में लिखा था कि आपकी पुलिस के कारण ही हमें झुग्गी झोपड़ी में रहना पड़ा है. हमने मेरठ मण्डल कमिश्नरी और डीएम के आवास का वीडियो तैयार किया है जिसे आतंकी हाफिज सईद को ईमेल करने का काम किया जा चुका है. सेना क्षेत्र का वीडियो बनाना शेष है. पत्र में आगे लिखा गया था कि हमें दोनों आवास धमाकों से उड़ाने हैं.
मार्च 2018 की बात करें तो इस वर्ष उत्तर प्रदेश के मुख्मयंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 आइएएस अधिकारियों का तबादला किया. इन अधिकारियों में चंद्रकला का भी नाम शामिल था. चंद्रकला को विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा के काम की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी.
आप भी जानें क्यों पड़ रहे हैं सीबीआई के छापे
यूपी में अखिलेश यादव की सरकार में आईएएस बी.चन्द्रकला की पोस्टिंग पहली बार हमीरपुर जिले में जिलाधिकारी के पद हुई थी. उनपर आरोप है कि उन्होंने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे करने का काम किया, जबकि ई-टेंडर के माध्यम से मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था. बी.चन्द्रकला पर आरोप है कि उन्होंने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी. यहां एक बात की और चर्चा कर दें कि साल 2015 में अवैध रूप से जारी मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को हमीरपुर में जारी किये गये सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित कर दिये. यही नहीं कोर्ट ने सभी को रद्द करने का काम भी किया.