बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती शनिवार को समाजवादी पार्टी (SP) के मुखिया अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रही हैं. भाजपा को हराने के लिए मायावती दो जून 1995 की उस रात की घटना को भी भूल गयीं, जिसके बारे में वह सार्वजनिक मंचों से कहती थीं कि वह उस रात को कभी नहीं भूलेंगी. घटना के बाद मायावती ने आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी (सपा) के गुंडों ने आधी रात को लखनऊ के गेस्टहाउस के कमरा नंबर 1 पर हमला कर उनके बाल पकड़कर खींचे थे और उन्हें गुंडी कहा था.
इस घटना ने एक साथ सरकार चलाने वाली सपा और बसपा के बीच बहुत बड़ी खाई खोद दी. 23 साल बाद इस अब यह खाई पटने जा रही है. लखनऊ के ताज होटल में मुलायम सिंह के बड़े बेटे अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगामी लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन का एलान होते ही दोनों पार्टियों की दूरियां मिट जायेंगी. 23 साल पुरानी वह खाई भी पट जायेगी.
लेकिन, 23 साल पुरानी उस घटना के बारे में सभी जानना चाहते हैं, जिसे बसपा सुप्रीमो कभी नहीं भूलने की बात करती थीं. आइए, जानते हैं क्या था गेस्ट हाउस कांड :
वर्ष 1993 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कल्याण सिंह सरकार को रोकने के लिए सपा-बसपा ने गठबंधन किया. एक साथ चुनाव लड़े और भाजपा को हरा दिया. सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. यह बेमेल गठबंधन ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया. दोनों पार्टियों में जल्दी ही मतभेद शुरू हो गये और बसपा ने सपा से एक जून, 1995 को समर्थन वापस ले लिया.
बसपा की समर्थन वापसी के साथ ही मुलायम की सरकार अल्पमत में आ गयी. 2 जून, 1995 को मायावती राजधानी लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित वीआइपी गेस्ट हाउस में ठहरीं थीं. बसपा के समर्थन वापसी से गुस्साये सपा कार्यकर्ताओं ने गेस्टहाउस को बाहर से घेर लिया. गेस्टहाउस के कमरा नंबर 1 में मायावती के साथ उनकी पार्टी के विधायक और कार्यकर्ता भी थे. बाहर सपा कार्यकर्ताओं ने बसपा समर्थकों के साथ जमकर मारपीट की. उन्हें बंधक बना लिया.
उस वक्त डरी-सहमी मायावती ने खुद को बचाने के लिए कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा था कि बसपा के समर्थन वापसी से सपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर था. वे गेस्ट हाउस में आग लगाने की तैयारी कर चुके थे. उन्होंने गेस्ट हाउस का दरवाजा तोड़ने की कोशिश की.