बोलीं मायावती- अयोध्या में गैर विवादित भूमि वापस मांगने की केंद्र की याचिका मात्र चुनावी स्टंट
लखनऊ : अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर बढ़ते दबाव के बीच केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की और मंगलवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के आसपास की 67.390 एकड़ अधिग्रहित विवाद रहित भूमि उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया. […]
लखनऊ : अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर बढ़ते दबाव के बीच केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की और मंगलवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के आसपास की 67.390 एकड़ अधिग्रहित विवाद रहित भूमि उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया.
केंद्र के इस कदम को बसपा सुप्रीमो मायावती ‘सरकारी हस्तक्षेप’ मानती हैं. मामले को लेकर मायावती का कहना है कि लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और यह चुनाव को प्रभावित करने की नीयत वाला ‘विवादित’ कदम है. बसपा सुप्रीमो ने बुधवार जारी एक बयान में कहा, ‘इनकी (केंद्र सरकार की_ अयोध्या भूमि विवाद के सम्बंध में अधिगृहित भूमि का भूभाग रामजन्म भूमि न्यास को वापस लौटाने हेतु सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देने की कल की कार्रवाई जबर्दस्ती सरकारी हस्तक्षेप के साथ-साथ लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने की नीयत वाला संकीर्ण सोच का विवादित कदम है.’ उन्होंने कहा, ‘इससे देश की आम जनता को बहुत ही सावधान रहने की ज़रूरत है.’
मायावती ने आरोप लगाया कि भाजपा केंद्र में जातिवादी, साम्प्रदायिक, धार्मिक उन्माद, तनाव, हिंसा के साथ-साथ संकीर्ण राष्ट्रवाद की नकारात्मक और घातक नीति तथा कार्यकलापों के आधार पर संविधान की मंशा के विरोधी तरीके से सरकार चला रही है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की मिल्कियत वाली अधिगृहित भूमि में यथास्थिति बिगाड़ने का सरकारी प्रयास अनुचित और भड़काऊ है. घोर चुनावी स्वार्थ की राजनीति के तहत यह भाजपा सरकार का नया चुनावी हथकण्डा है. मायावती ने कहा कि देश की सवा सौ करोड़ जनता का विश्वास खोकर बदनाम हो चुकी भाजपा सरकार के पास अब अयोध्या और धर्म के अन्य मामलों का गलत एवं राजनीतिक इस्तेमाल का आखिरी हथकण्डा बाकी रह गया था जो भाजपा पूरी तरह से इस्तेमाल करने में लग गयी है.
उन्होंने दावा किया कि भाजपा को अहसास हो गया है कि उत्तर प्रदेश में बसपा-सपा गठबंधन के चलते वह केन्द्र की सत्ता में दोबारा आने वाली नहीं है.