अखिलेश को एयरपोर्ट पर रोके जाने का मामला : सपा-बीएसपी ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा
लखनऊ : सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मंगलवार को हवाई अड्डे पर रोके जाने को लेकर लखनऊ से इलाहाबाद तक खासा विवाद खड़ा हो गया है. मंगलवार को पूरा दिन इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई. अब बुधवार सुबह सपा और बीएसपी के 15 सदस्यों ने राज्य के राज्यपाल […]
लखनऊ : सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मंगलवार को हवाई अड्डे पर रोके जाने को लेकर लखनऊ से इलाहाबाद तक खासा विवाद खड़ा हो गया है. मंगलवार को पूरा दिन इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई. अब बुधवार सुबह सपा और बीएसपी के 15 सदस्यों ने राज्य के राज्यपाल रामनाइक को एक ज्ञापन सौंपा है. मामूल हो राज्यपाल ने मंगलवार को ही धरणा पर बैठे सपा समर्थकों को आज मिलने का समय दिया था.
गौरतलब हो इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए लखनऊ में हवाई अड्डे पर विमान में सवार होने से रोक दिया गया था.
इससे प्रदेश का सियासी माहौल गरमा गया. लखनऊ में सपा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने राजभवन के गेट पर धरना शुरू कर दिया. हालांकि राज्यपाल द्वारा बुधवार सुबह समय दिये जाने पर धरना खत्म कर दिया गया. वहीं, इलाहाबाद के बालसन चौराहे पर सपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई.
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इस दौरान सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव जख्मी हो गयेः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्रवाई को जायज ठहराते हुए कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय पहुंचने पर वहां पहले से ही छात्रों के गुटों में चल रही तनातनी के और तेज होने की आशंका थी. इसी वजह से उन्हें रोका गया.
बसपा अध्यक्ष मायावती ने गठबंधन के अपने सहयोगी सपा प्रमुख अखिलेश यादव को इलाहाबाद जाते वक्त लखनऊ हवाई अड्डे पर रोके जाने की कड़े शब्दों में निंदा की. मायावती ने ट्वीट किया कि अखिलेश को इलाहाबाद नहीं जाने देने की घटना अति निंदनीय और भाजपा सरकार की तानाशाही तथा लोकतंत्र की हत्या की प्रतीक है. क्या भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकार बसपा-सपा गठबंधन से इतनी ज्यादा भयभीत और बौखला गयी है कि उन्हें अपनी राजनीतिक गतिविधि तथा पार्टी कार्यक्रम आदि करने पर भी रोक लगाने पर तुल गयी है. ऐसी अलोकतांत्रिक कार्रवाईयों का डटकर मुकाबला किया जाएगा.
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अखिलेश ने पूरे मामले के लिये राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उसकी नीयत पर शक जाहिर किया. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में सपा समर्थित उम्मीदवार के हाथों हार से बौखलायी योगी आदित्यनाथ सरकार ने पुलिस प्रशासन की मदद से ना सिर्फ उनके घर की रेकी की, बल्कि प्रतिबंध के बावजूद राज्य के अधिकारियों ने हवाई अड्डे के अंदर घुसकर उन्हें विमान पर चढ़ने से रोक दिया. इसमें केन्द्र सरकार की भी मिलीभगत नजर आती है.
दूसरी ओर, राज्य सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम को सपा अध्यक्ष की सुर्खियां बटोरने की कोशिश मात्र करार दिया. उन्होंने कहा कि अखिलेश पूरे घटनाक्रम पर झूठ का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने तय किया था कि किसी भी राजनेता, राजनीतिक कार्यकर्ता और राजनीतिक पार्टियों से संबंधित व्यक्तियों को उक्त कार्यक्रम में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह जानकारी जिलाधिकारी प्रयागराज की ओर से अखिलेश को दी गयी थी.
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सिंह ने यह भी कहा कि अखिलेश विश्वविद्यालय परिसर में हाल में हुई बमबाजी के मामले में भी झूठ बोल रहे हैं. इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई हुई और 15-16 लोग गिरफ्तार किये गये. सपा अध्यक्ष ने प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि मैं अराजकता और हिंसा फैलाने जा रहा था. मैं सन्यासी योगी से पूछना चाहता हूं कि अगर मेरे राजनीतिक जीवन में मेरे ऊपर एक भी धारा लगी हो तो बताएं.
अखिलेश ने संवाददाताओं के सामने कुछ तख्तियां पेश करते हुए कहा, मुख्यमंत्री जी अपराधियों की तख्ती की बात बहुत करते हैं. मैं चाहता हूं कि उनकी तख्ती आज जरूर सामने आये. यह मुख्यमंत्री पर लगी धाराओं की तख्ती है. वह पहले मुख्यमंत्री होंगे जिन्होंने खुद ही अपने मुकदमे वापस लिये हैं. आप चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में देखें तो यही धाराएं आपको दिखेंगी. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता लोकसभा चुनाव का इंतजार कर रही है. वह मन बना चुकी है कि उसे क्या करना है.
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