मुलायम की ‘ना’ के बाद यादवों के गढ़ आजमगढ़ से कौन होगा सपा उम्मीदवार? जानें सीट का इतिहास…

-रजनीश आनंद- आजमगढ़ पूर्वी उत्तरप्रदेश का प्रमुख जिला है, जहां से समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव सांसद हैं. हालांकि इस बार मुलायम सिंह यादव ने यहां से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. आजमगढ़ को समाजवादियों का गढ़ माना जाता है, पिछले कुछ चुनावों से वे लगातार यहां से जीत दर्ज करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2019 4:54 PM

-रजनीश आनंद-

आजमगढ़ पूर्वी उत्तरप्रदेश का प्रमुख जिला है, जहां से समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव सांसद हैं. हालांकि इस बार मुलायम सिंह यादव ने यहां से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. आजमगढ़ को समाजवादियों का गढ़ माना जाता है, पिछले कुछ चुनावों से वे लगातार यहां से जीत दर्ज करते आये हैं. हालांकि मुलायम सिंह यादव यहां से पहली चुनकर संसद पहुंचे हैं. 2014 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी और आजमगढ़ से चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों सीट जीतने के बाद उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दिया था. इस बार का चुनाव इसलिए भी रोचक हो गया है क्योंकि मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी की पैरवी करते हुए यह कहा है कि वे दोबारा प्रधानमंत्री बन सकते हैं, साथ ही वे इस सीट से चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं. ऐसे में सपा किसे चुनावी मैदान में उतारेगी यह मंथन का विषय है. अखिलेश यादव ने सपा की धुर विरोधी मायावती से समझौता कर लिया है और दोनों 37-38 सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अखिलेश और मायावती के समझौते के बाद भी आजमगढ़ सीट सपा के खाते में ही है, ऐसे में यहां से उम्मीदवार कौन होगा यह अभी तय नहीं हुआ है, संभव है कि अखिलेश इस सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतारें.

यादवों के वर्चस्व का है इतिहास

आजमगढ़ सीट पर चुनाव चाहे जिस भी पार्टी ने जीता हो, लेकिन यहां यादवों का वर्चस्व रहा है. 1952 में यहां से कांग्रेस के अलगू राय शास्त्री चुनकर आये थे. 1962 से 1971 तक कांग्रेस के यादव वंशी उम्मीदवार ही सांसद बने. 1977 में जब जनता पार्टी की लहर चली उस वक्त यहां से जनता पार्टी के रामनरेश यादव सांसद चुने गये. 1978 में उपचुनाव हुआ और मोहसिना किदवई यहां से सांसद बनीं. 1980 में फिर जनता पार्टी सेक्यूलर के चंद्रजीत यादव सांसद बने. 1989 में पहली बार बसपा को यहां से जीत मिली और यादव वंशी रामकृष्ण यादव सांसद चुने गये. सपा के सांसद रहे रमाकांत यादव को 2009 के चुनाव में यहां से भाजपा के टिकट पर जीत मिली थी, जो यहां से भाजपा की जीत का रिकॉर्ड है. मात्र एक बार यहां से भाजपा को जीत मिली है. 2014 में फिर मुलायम सिंह यादव यहां से जीतकर आये.

सपा-बसपा गठबंधन का मिलेगा फायदा

सपा-बसपा गठबंधन का आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा दोनों पार्टियों को मिलेगा इसमें कोई दो राय नहीं है. पिछले चुनाव में यहां से मुलायम सिंह यादव जीते थे, दूसरे नंबर पर भाजपा के रमाकांत यादव थे और तीसरा स्थान बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमील को मिला था. इस नजरिये से देखें तो इस बार शाह आलम के हिस्से में आया वोट भी सपा को मिलेगा और उसकी जीत आंकड़ों के आधार पर आसान हो जायेगी अगर सपा-बसपा का कैडर वोट बैंक फिसले नहीं तो.

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में हैं पांच विधानसभा क्षेत्र

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें गोपालपुर, सगड़ी,मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर शामिल है.

भाजपा एकबार फिर बाहुबली रमाकांत यादव पर खेलेगी दांव

आजमगढ़ से मुलायम सिंह चुनाव नहीं लड़ेंगे यह तो साफ है, संभव है कि अखिलेश डिंपल को यहां से चुनाव मैदान में उतारें, वैसे मुलायम सिंह ने कहा है कि टिकट पर उनका निर्णय ही अंतिम होगा. वहीं भाजपा एकबार फिर यहां से सांसद रह चुके बाहुबली रमाकांत यादव को ही टिकट देगी ऐसा जानकार बता रहे हैं. रमाकांत यादव का इतिहास सपा जुड़ा है इसलिए वे उनसे निपटने में ज्यादा माहिर होंगे.

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