नेशनल कंटेंट सेल
बसपा सुप्रीमो मायावती व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सियासी चक्रव्यूह में कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया फंस गये हैं. बात यूपी के प्रतापगढ़ सीट की हो रही है. सपा व बसपा के बीच सीट बंटवारे में सपा ने प्रतापगढ़ सीट बसपा के खाते में डाल दी है. इससे राजा भैया को तगड़ा झटका लगा है. राजा भैया ने पहले ही इस सीट पर अपने भाई गोपाल जी को चुनाव लड़ाने की तैयारी की है.
ऐसे में राजा भैया व मायावती के बीच एक बार फिर चुनावी टक्कर होना तय हो गया है. बसपा सुप्रीमो मायावती व राजा भैया की सियासी लड़ाई किसी से छिपी नहीं है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राजा भैया से राज्यसभा चुनाव का बदला लेने के लिए अखिलेश यादव ने बसपा के कोटे में प्रतापगढ़ की सीट डाली है. यहां पर सपा का अच्छा जनाधार था. यादवों व मुस्लिमों की संख्या सपा को जिताने के लिए पर्याप्त है. लेकिन, बसपा को सामने लाने से दलित, यादव के साथ मुस्लिम वोट बैंक एक हो जायेंगे और राजा भैया के पार्टी के प्रत्याशी के लिए जीत की राह कठिन हो जायेगी.
पुरानी जंग है अखिलेश और राजा भैया के बीच
राजा भैया पर 2013 में जब सीओ हत्याकांड कराने का आरोप लगा था तो यूपी के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने राजा भैया से मंत्री पद वापस ले लिया था. इससे अखिलेश व राजा भैया के संबंधों पर खासा प्रभाव पड़ा. योगी सरकार बन जाने के बाद हुए राज्यसभा चुनाव में राजा भैया ने इसका बदला चुकाया. अखिलेश के कहने के बाद भी बसपा प्रत्याशी बने.
प्रतापगढ़ में कांग्रेस का भी है वोट बैंक
प्रतापगढ़ में कांग्रेस का अपना वोट बैंक हैं. यहां पर कांग्रेस के टिकट पर राजकुमारी रत्ना सिंह चुनाव जीत चुकी हैं. चर्चा है कि इस बार भी राजकुमारी रत्ना सिंह को संसदीय चुनाव का टिकट मिल सकता है यदि ऐसा हुआ तो राजा भैया की परेशानी बढ़ जायेगी. एक तरफ उन्हें सपा व बसपा गठबंधन से लड़ना होगा, तो दूसरी तरफ कांग्रेस व भाजपा होगी.