लखनऊ : ‘निर्भया’ मामले के दोषियों को फांसी देने की तैयारियों संबंधी मीडिया रिपोर्टो की पृष्ठभूमि में पिछली तीन पीढ़ियों से अपराधियों को फांसी देने का काम करने वाले पवन जल्लाद का कहना है कि दुर्दांत अपराधी को मौत के फंदे पर लटकाते समय उनके दिल में कोई रहम नहीं होता है और वह आदेश मिलने पर निर्भया के हत्यारों को फांसी पर लटकाने के लिए तैयार हैं.
उनके परिवार में तीन पीढ़ियों से लोग जल्लाद का काम करते आ रहे हैं. पवन का कहना है कि किसी भी अपराधी को फांसी देने की तैयारी करने के लिए बस एक दिन का समय काफी होता है. उन्होंने मेरठ से फोन पर बताया कि वह अपने दादा कालू राम के साथ पांच बार फांसी देने गये हैं. अपने दादा कल्लू जल्लाद और पिता बब्बू जल्लाद के बाद अब वह अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी में यह काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया, इस पेशे में वही मेरे गुरु थे. मैं दो लोगों को पटियाला में, एक को इलाहाबाद में, एक को आगरा में और एक को जयपुर में फांसी पर लटकाने दादा के साथ गया था.
पवन के दादा कालू राम ने 31 जनवरी 1982 को कुख्यात अपराधी रंगा और बिल्ला को फांसी दी थी. कालू राम ने ही इंदिरा गांधी के हत्यारों (सतवंत सिंह और केहर सिंह) को भी फांसी दी थी. सतवंत सिंह और बेअंत सिंह इंदिरा गांधी के सुरक्षाकर्मी थे, जिन्होंने 31 अक्तूबर 1984 को सरकारी आवास पर उन्हें गोली मार दी थी. इस षड्यंत्र में केहर सिंह भी शामिल था. बेअंत सिंह को उसी वक्त अन्य सुरक्षा कर्मियों ने मार गिराया था. हालांकि, पवन जल्लाद अपने इस पेशे से खास खुश नहीं हैं. बकौल पवन, इस पेशे में होने कारण हमें दूसरी जगह काम भी आसानी से नहीं मिलता है. फिर हमें पहले प्रदेश सरकार की तरफ से मानदेय के रूप में तीन हजार रुपये मिलते थे जो कि अब जाकर काफी प्रयासों के बाद पांच हजार हुए हैं. इतने रुपयों से भला कोई कैसे अपना घर चला सकता है. पचास-साठ साल से हमारा परिवार इतने बुरे दौर से गुजरा है कि कई बार तो खाने के लिए परिवार को रोटी के भी लाले पड़ जाते थे.
निर्भया मामले में मौत की सजा पाये दोषियों को फांसी देने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर जेल प्रशासन का आदेश आता है तो वह इसके लिए मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हैं. मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि प्रशासन द्वारा निर्भया मामले के दोषियों को फांसी की सजा देने की तैयारियां की जा रही हैं. करीब 55 साल के पवन जल्लाद का कहना है कि उन्हें फांसी देने की प्रक्रिया की समझ अपने दादा को देखकर आयी. फांसी से पहले की तैयारियों के बारे में पवन ने बताया, किसी दोषी को फांसी देने के लिए मुझे एक दिन पहले तैयारियां करनी होती हैं. मुझे फांसी के फंदे की जांच करनी पड़ती है, फंदे में एक बोरी में वजन डालकर उसे लटका कर देखता हूं कि वह एक आदमी का भार वहन कर पायेगा या नहीं? उसके बाद जिस लकड़ी के पटरे पर दोषियों को खड़ा किया जाता है, उसकी मजबूती की भी जांच करनी पड़ती है कि वह पर्याप्त रूप से मजबूत है या नहीं. इसके साथ ही फांसी पर लटकाने के लिए जिस लीवर को खींचा जाता है उसमें भी तेल और ग्रीस लगानी पड़ती है ताकि फांसी के समय आसानी से लीवर खिंच सकें.
एक सवाल के जवाब में पवन ने बताया, फांसी तड़के दी जाती है इसलिए मैं पूरी रात जागकर उसकी तैयारी करता हूं, लेकिन मुख्य तैयारी आखिरी दो से तीन घंटे में होती है. फांसी देते समय किसी बात का डर या भय दिमाग में नही रहता है. पवन ने इस संबंध में मेरठ जेल प्रशासन से किसी प्रकार का आदेश मिलने से इनकार किया, लेकिन साथ ही कहा कि वह आदेश की पालना करने के लिए 24 घंटे तैयार हैं. इसी संबंध में उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (जेल) आनंद कुमार ने शुक्रवार को को बताया कि तिहाड़ जेल, दिल्ली से उप्र शासन को दो जल्लादों को तैयार रखने को कहा गया था. चूंकि उप्र में मौजूद दो जल्लादों में से इस समय एक ही जल्लाद उपलब्ध है जो कि मेरठ में है इसलिए मेरठ जेल प्रशासन से उसे तैयार रखने को कहा गया है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि तिहाड़ जेल से किन दोषियों को फांसी देने के लिए जल्लाद तैयार रखने को कहा गया है.