लखनऊ: उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद जिले का कथरिया गांव 11 घंटे तक दहशत के साए में रहा. आखिरकार सिरफिरे सुभाष बाथम की मौत के साथ ही उन भयावह पलों का अंत हो पाया जिसने बंधक बनाए गए 21 बच्चों और उसके परिवार वालों की सांस अटका रखी थी. घटना की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी एटीएस और एनएसजी कमांडोज की टीम स्टैंड बाई में थी ताकि मासूमों को कोई नुकसान ना पहुंचाया जा सके.
पूरा मामला क्या है. ये सुभाष बाथम नाम का शख्स कौन था और क्यों उसने 21 बच्चों को 11 घंटे से अधिक समय तक बंधक बनाए रखा. उसके पास इतने हथियार कैसे आए और क्या था इस पूरे घटनाक्रम के दौरान ऑपरेशन मासूम, हम आपको इस खबर में सिलसिलेवार ढंग से समझाते हैं कहानी के अंदाज में…
यूपी के कथरिया गांव की है ये पूरी घटना
यूपी के फर्रूखाबाद जिले का कथरिया गांव. यहीं का रहने वाला था सुभाष बाथम जो पुलिस की गोली से मारा जा चुका है वहीं उसकी पत्नी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है. गुरुवार की दोपहर तकरीबन 2 बजे सुभाष ने गांव के बच्चों को आमंत्रित किया. बताया कि उसकी बेटी का जन्मदिन है. गांव के अलग-अलग परिवारों से 21 बच्चे सुभाष के घर पहुंचे. लेकिन यहां कोई बर्थडे पार्टी नहीं थी. सुभाष का इरादा कुछ और ही था. उसने सभी 21 बच्चों को अपने घर के बेसमेंट में कैद कर लिया. बोला, ‘चुप रहो नहीं तो सबको बम से उड़ा दूंगा’.
शाम 4 बजे गांव वालों को आया ध्यान
इधर गांव वाले अपने-अपने काम में मशगूल थे. शाम को 4 बजे अचानक ध्यान आया कि सुभाष के यहां बर्थडे पार्टी में गए उनके बच्चे अब तक वापस नहीं लौटे हैं. सोचा, देखते हैं क्या माजरा है. जाकर देखा तो सुभाष का घर अंदर से लॉक था. कहीं किसी का अता-पता नहीं था. गांव वालों ने आवाज लगाई तो सुभाष ने गाली-गलौज शुरू कर दी. सबको समझ आ गया. उनके मासूम बच्चे मुसीबत में हैं. जब गांव के कुछ लोगों ने सुभाष बाथम से बातचीत करना चाहा तो पहले तो उसने गालियां दीं और फिर फायर किया. गांव वालों ने पुलिस को खबर कर दी.
गांव वालों की सूचना पर पीसीआर की टीम पहुंची. बात करना चाहा लेकिन सुभाष लगातार गांव वालों को अपशब्द बोलता रहा. साथ ही मांग करता रहा कि स्थानीय विधायक को वहां बुलाया जाए. वो बस विधायक से ही बात करेगा.
शाम 6 बजे कथरिया पहुंची यूपी पुलिस
शाम तकरीबन 6 बजे पुलिस अधिकारी दलबल के साथ कथरिया गांव पहुंचे. सुभाष को कहा कि वो बाहर निकले. पुलिस ने सुभाष के एक दोस्त को उससे बातचीत करने भेजा लेकिन उसने अपने दोस्त पर ही गोली चला दी. बम से हमला भी किया जिसमें एक पुलिस इंस्पेक्टर और दीवान घायल हो गया. पुलिस और सुभाष के बीच जिच चलती रही. सुभाष ने इस बीच पुलिसकर्मियों से बिस्कुट मांगा जो कि उसे मुहैया करवाया गया. आखिरकार स्थिति बेकाबू होते देख यूपी एटीएस को बुलाया गया. एटीएस की टीम फर्रूखाबाद के लिये रवाना हो गयी. घटना की गंभीरता को समझते हुए एनएसजी कमांडोज को भी स्टैंडबाई पर रखा गया. इस समय तक साढ़े सात बज चुका था.
रात 9 बजे सीएम की आपात बैठक
घटना की सूचना यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी दी जा चुकी थी. रात नौ बजे मुख्यमंत्री ने आपात बैठक बुलाई. बैठक में राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और गृह विभाग के मुख्य सचिव शामिल हुए. अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि बच्चों को सुरक्षित छुड़ाया जाए. योगी आदित्यनाथ ने फर्रुखाबाद के अधिकारियों से बातचीत की और घटना में लापरवाही बरत रहे अधिकारियों को जमकर डांट पिलाई.
आवास-शौचालय नहीं मिलने से नाराज!
रात के ग्यारह बजे सुभाष से जब दोबारा बात करने की कोशिश की गई तो उसने अपनी पत्नी और एक दो साल के बच्चे को बाहर भेजा. सुभाष बाथम की पत्नी के हाथ में एक चिट्ठी थी. चिट्ठी में आरोपी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो आवास और शौचालय की सुविधा उसे मिलनी चाहिए थी, अधिकारियों ने वो मुहैया नहीं करवाया. इस दौरान वो लगातार कहता रहा कि स्थानीय विधायक को यहां बुलाया जाए.
आखिरकार मारा गया सुभाष बाथम
रात को तकरीबन ग्यारह बजे एएसपी त्रिभुवन सिंह ने बताया कि सुभाष के घर से बहुत तेज आवाजें आने लगी. हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते थे. इसलिए हमने अंदर घुसने का फैसला किया. घर का दरवाजा तोड़कर पुलिस उस कमरे में दाखिल हुई जहां सुभाष बाथम था. दोनों तरफ से फायरिंग हुई जिसमें सुभाष बाथम मारा गया. उसकी पत्नी जब बाहर निकली थी तो आक्रोशित गांव वालों ने उसकी जमकर पिटाई कर दी.
उसको अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है. बता दें कि सुभाष बाथम पहले भी हत्या के मामले में जेल जा चुका था. गांव वालों का मानना है कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. लेकिन वो इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देगा, ऐसी उम्मीद नहीं थी.