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2007 में हुए गोरखपुर दंगे का मुख्य आरोपी शमीम गिरफ्तार, कोर्ट से जमानत के बाद 16 साल से था फरार

25 जनवरी 2007 को गोरखपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र के एक मीनारा मस्जिद नसीराबाद के पास आमलेट के ठेले पर किसी बाद को लेकर रामकुमार अग्रहरि व मो. शमीम से विवाद हो गया था. शमीम ने छोटे से विवाद में उसकी चाकू मारकर हत्याकर दी थी. 16 अगस्त 2007 को कोर्ट से जमानत लेने के बाद वह फरार हो गया था.

गोरखपुर: वर्ष 2007 में गोरखपुर के दंगे के मुख्य आरोपी शमीम को कोतवाली पुलिस ने 16 साल बाद गिरफ्तार किया है. शमीम ने छोटे से विवाद में एक युवक की चाकू मारकर हत्याकर दी थी. 16 अगस्त 2007 को कोर्ट से जमानत लेने के बाद वह फरार हो गया था. गोरखपुर में हुए इसी दंगे के बाद योगी आदित्यनाथ को 11 दिन जेल में गुजारना पड़ा था. जमानत पर छूटने के बाद वर्तमान सांसद योगी आदित्यनाथ 12 मार्च 2007 को संसद में इस घटना की जानकारी देते हुए फूट-फूट कर रो पड़े थे. तत्कालीन स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने योगी आदित्यनाथ को ढांढ़स बंधाया था.

क्या था मामला

25 जनवरी 2007 को गोरखपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र के एक मीनारा मस्जिद नसीराबाद के पास आमलेट के ठेले पर किसी बाद को लेकर रामकुमार अग्रहरि व मो. शमीम से विवाद हो गया था. जिसके बाद मोहम्मद शमीम और उसके साथियों ने एक जुट होकर धर्म सूचक गालियां देते हुए राजकुमार पर ताबड़ तोड़ हमला कर दिया था. यही नहीं मोहम्मद शमीम पुत्र शफीउल्ला और उसके साथियों ने राजकुमार अग्रहरि को चाकू से गोद दिया था.

पुलिस की जीप से खींच कर दोबारा चाकू मारा

मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने घायल अवस्था में राजकुमार को जीप में अस्पताल ले जाने के लिए पीछे बेसुध हालत में रखा था. इस दौरान तिवारीपुर थाना क्षेत्र से मोहर्रम का जुलूस निकल रहा था. कोतवाली थाना क्षेत्र के एक मिनारा मस्जिद नसीराबाद के पास दोबारा पुलिस की जीप से खींच कर राजकुमार पर आरोपियों ने चाकू और तलवार से हमला कर दिया था. इलाज के दौरान मेडिकल कॉलेज में राजकुमार की मौत हो गई थी.

योगी आदित्यनाथ ने किया था आंदोलन

इस घटना के बाद से गोरखपुर में दंगा भड़क गया था. काफी माहौल खराब होने के बाद घटना के विरोध में सड़क पर उतरे तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ और उसके साथ मौजूद लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जिस समय में घटना हुई थी उस समय योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में नहीं थे. वह कुशीनगर गए थे. वहीं से उन्होंने गोलघर के चेतना चौराहे पर धरना और जनसभा का आह्वान किया था. योगी के आह्वान पर पहली बार विधायक का चुनाव जीते राधा मोहन दास अग्रवाल, तात्कालिक मेयर अंजू चौधरी, तत्कालीन हिंदू युवा वाहिनी के अध्यक्ष सुनील सिंह के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन और भाषणबाजी शुरू हो गई थी.

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तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने कराया था गिरफ्तार

इस कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ भी आने वाले थे और वो कुशीनगर से चल दिए थे. लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार करने का निर्देश दे दिया. योगी आदित्यनाथ कुशीनगर से गोरखपुर के लिए रवाना हो चुके थे. गोरखपुर के तात्कालिक डीएम डॉ. हरिओम ने उनके गिरफ्तारी का खाका तैयार कर लिया. योगी आदित्यनाथ जैसे ही गोरखपुर कुशीनगर रोड पर स्थित जगदीशपुर पहुंचे उन्हें रोक कर गिरफ्तार कर लिया गया.

गोरखपुर में भड़क गया था आक्रोश

सांसद योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी की खबर जैसे ही हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं को लगी वो इसका विरोध करने लगे. पुलिस ने उन्हें रोकना चाहा तो पुलिस से झड़प शुरू हो गई. कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ भी शुरू हो गयी. सेना से रिटायर्ड एक भाजपा अनुसूचित मोर्चे के कार्यकर्ता रामभूषण पासी ने एक सीओ रैंक के अधिकारी को पटक दिया. किसी तरह पुलिस सांसद योगी को पुलिस लाइन ले जाया गया.

पुलिस ने किया था सीएम योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार

पुलिस लाइन से योगी को वज्र वाहन में बैठकर जेल ले जाया जाने लगा. जिस गाड़ी से पुलिस योगी आदित्यनाथ को लेकर जेल जा रही थी, उस गाड़ी की सामने ही कार्यकर्ता लेट गए थे. भारी संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई थी. पुलिस को योगी आदित्यनाथ को जेल पहुंचाने में लगभग 8 घंटे का समय लग गया. जबकि पुलिस लाइन से जेल की दूरी मात्र 3 से 4 किलोमीटर है.

सांसद योगी 11 दिन रहे थे जेल में 

योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी के बाद दंगा और भी भड़क गया था. उनको गोरखपुर जेल की मिलेनियम बैरक में रखा गया था. उनके साथ जेल में तत्कालीन नगर विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल, हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह, तात्कालिक गोरखपुर मेयर अंजू चौधरी और कई भाजपा नेता भी थे. योगी आदित्यनाथ को धारा 144 और शांति भंग के आरोप में पुलिस ने जेल भेजा था. इस घटना के बाद से योगी आदित्यनाथ को बहुत लोकप्रियता मिली. पूर्वांचल के लोग उन्हें जननायक के तौर पर देखने लगे. योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए जेल में लोगों का तांता लगा हुआ था.

मृतक के पिता ने करायी थी एफआईआर

मृतक राजकुमार अग्रहरि के पिता राजेंद्र अग्रहरि ने मोहम्मद शमीम और उसके साथियों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर करायी थी. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302,147,148,149,298 के तहत केस दर्ज किया था. इसके बाद शमीम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. 16 अगस्त 2007 को कोर्ट से शमीम को जमानत मिल गई. इसके बाद वह फरार हो गया था. कोर्ट के गैर जमानती वारंट जारी करने के बावजूद वह तारीख पर हाजिर नहीं हो रहा था. इस मामले में उसे साल 2012 में कोर्ट आजीवन कारावास की सजा सुना चुका है. पुलिस ने 11 सितंबर 2023 को उसे तिवारीपुर के निजामपुर स्थित घर से अरेस्ट कर कोर्ट में पेश किया. जहां से उसे जेल भेज दिया गया है.

रिपोर्ट–कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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