नयी दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को उन 16 पुलिसकर्मियों से जवाब मांगा जिन्हें एक निचली अदालत ने 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में हत्या एवं अन्य आरोपों से बरी कर दिया था. गौर हो कि मेरठ के हाशिमपुरा मे 22 मई 1987 को हुए नरसंहार के दौरान 42 लोगों की हत्या हो गयी थी. हत्या के आरोपी पुलिसकर्मियों में से जीवित सभी16 लोगों को निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा की पीठ ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर इन 16 पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किया है. अदालत ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए उन्हें निर्देश दिया है कि वे 21 जुलाई को अपना जवाब दाखिल करें. इससे पहले ,अदालत ने नरसंहार में मारे गए लोगों के परिजनों और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आग्रह पर उत्तर प्रदेश सरकार और आरोपियों को नोटिस जारी किया था और उनसे 21 जुलाई तक जवाब मांगा था. परिजनों और एनएचआरसी ने मामले में आगे की जांच के आदेश की मांग की थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पिछले हफ्ते हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. निचली अदालत ने आरोपी पुलिसकर्मियों को हत्या, हत्या के प्रयास, सबूतों से छेड़छाड़ और नरसंहार के षड्यंत्र के आरोपों से बरी कर दिया था.
मालूम हो कि हाशिमपुरा नरसंहार मामले में चली लंबी न्यायिक प्रक्रि या के बावजूद एक व्यक्ति भी दोषी नहीं पाया गया. वर्ष 1987 में मेरठ में हुए इस नरसंहार में एक समुदाय के 42 लोगों की हत्या कर दी गई थी. ये सभी लोग मेरठ के हाशिमपुरा मोहल्ले के रहने वाले थे. हत्या का आरोप उत्तर प्रदेश पुलिस की प्रांतीय सशस्त्र पैदल सेना (पीएसी) की 41वीं कंपनी के जवानों पर लगा था.
इस मामले की चार्जशीट 1996 में गाज़यिाबाद में दाखिल की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सितंबर 2002 में इस केस को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था. इस मामले में कुल 19 आरोपी थे, जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है.
ये हत्याएं कथित तौर पर मेरठ में दंगे के दौरान हुईं, जिसमें पीएसी की 41वीं बटालियन द्वारा तलाशी अभियान के दौरान पीड़ितों को हाशिमपुरा मोहल्ले से उठाया गया था. यहां की एक सत्र अदालत ने जुलाई 2006 में आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, सबूतों से छेड़छाड़ तथा साजिश का आरोप तय किया था. अभियोजन पक्ष के मुताबिक, पीड़ितों को आरोपियों ने गोली मार दी और उनके शव एक नहर में फेंक दिए. नरसंहार में 42 लोगों को मृत घोषित किया गया.