लखनऊ : एक लड़की के साथ दुराचार हुआ पर न्याय नहीं मिला, उसके जख्म समय के साथ गहरे होते जा रहे थे लेकिन प्रशासन का कलेजा नहीं पसीजा. जब वह गर्भवती हो गयी और बच्चे का दुराचारी पिता सम्मान से जीवन गुजार रहा था तब जाकर पीड़िता ने आवाज बुलंद की. लेकिन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को यह भी रास नहीं आया. उसके पास मौत को गले लगाने के अलावा कोई उपाय नहीं था. मरने के लिए पानी की टंकी पर चढ़ी पर दुनिया वालों ने उसे यह भी नहीं करने दिया. अब अपने होने वाले बच्चे के भविष्य और अपने आत्मसम्मान के लिए न्याय के दरवाजे खटखटा रही पीड़िता को कहीं ठिकाना नहीं मिल रहा है.
पिछले कई महीनों ने न्याय की आस लगाये दर-दर की ठोकरें खा रही तीन माह की गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता को डीजीपी के आदेश के बाद अभी तक न्याय नही मिला. जिससे क्षुब्ध होकर पीड़िता गुरुवार सुबह करीब 9.30 बजे सिविल अस्पताल परिसर से स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गयी और जान देने की कोशिश करने लगी. जिससे अस्पताल में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में पुलिस बुलायी गयी. मौके पहुंची पुलिस ने पीड़िता को उतारने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं मानी तो पुलिस के हाथ-पांव फूल गये. पीड़िता जान देने की बात पर अड़ी रही. सूचना मिलते ही मौके पर अस्पताल के अधिकारियों सहित पुलिस और प्रशासन के कई अधिकारी पहुंच गये. वे सभी उस महिला को आश्वासन देते रहे लेकिन वह नहीं मानी. बहरहाल, एसीएम, क्षेत्रधिकारी, इंस्पेक्टर, महिला थानाध्यक्ष जब भारी संख्या में पुलिस बल के साथ पहुंचे और तत्काल कार्यवाही का आश्वासन देकर उसे नीचे उतारा.
‘बसंती टंकी पर चढ़ी है’
एक तरफ जहां गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता न्याय के लिए गुहार लगाती फिर रही है, वहीं महिला पुलिस कर्मियों मजाक सूझा. मौके पर खड़ी महिला आरक्षी दांत निकालते हुए कह रही थी कि देखो बसंती टंकी पर चढ़ी है. उधर रोड पर जाम लगा था और सैकड़ों की भीड़ उसे देखने के लिए अस्पताल परिसर में जमा थी. लेकिन मौके पर मौजूद भारी तादात में पुलिस ने स्थिति संभाली रखी.
छह जून को धरने पर हुई थी बेहोश दी थी आत्मदाह की चेतावनी
दरिंदगी की शिकार गर्भवती रेप पीड़िता न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है. शासन से लेकर प्रशासन तक गुहार लगा चुकी पीड़िता की अभी तक कहीं सुनवाई नहीं हुई. कई बार धरना भी दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसके बावजूद पीड़िता ने हिम्मत नहीं हारी. पेट में पल रही तीन माह की नन्हीं सी जान के साथ पीड़िता न्याय की उम्मीद में विगत छह जून को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठी थी. इस बीच भीषण गर्मी और कमजोरी के कारण वह बेहोश हो गयी. मौके पर मौजूद महिला पुलिस ने आनन-फानन में एंबुलेंस बुलाकर उसे सिविल अस्पताल में भरती कराया था, जहां पीड़िता ने कहा था कि अगर उसे जल्द न्याय नहीं मिला तो आत्मदाह कर लेगी.