भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की कोशिश : मायावती
लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी :बसपा: अध्यक्ष मायावती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा केंद्र में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर दलितों को गुलाम बनाने वाली पुरानी वर्ण व्यवस्था लागू करके भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने की कोशिश दोबारा शुरु करने का आरोप लगाते हुए आज दलितों का आह्वान किया कि वे भविष्य में केंद्र […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
October 31, 2015 7:33 PM
लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी :बसपा: अध्यक्ष मायावती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा केंद्र में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर दलितों को गुलाम बनाने वाली पुरानी वर्ण व्यवस्था लागू करके भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने की कोशिश दोबारा शुरु करने का आरोप लगाते हुए आज दलितों का आह्वान किया कि वे भविष्य में केंद्र और राज्यों में भाजपा को सत्ता में ना आने दें.
मायावती ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की तत्कालीन सरकार की तरह केंद्र की मौजूदा नरेन्द्र मोदी सरकार बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के प्रयासों से दलितों, आदिवासियों तथा अन्य पिछडे वर्गों को मिले आरक्षण को खत्म करना चाहती है. साथ ही संघ तथा भाजपा देश में पुरातन अन्यायपूर्ण ‘वर्ण व्यवस्था’ लागू करके इसे हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं. दलितों, आदिवासियों तथा अन्य पिछडे वर्गों को भविष्य में भाजपा को केंद्र तथा राज्यों की सत्ता में लाने से रोकना होगा, नहीं तो वह इन तबकों का आरक्षण धीरे-धीरे खत्म कर देगी और वे फिर से अगडी जातियों के गुलाम बन जाएंगे.
उन्होंने कहा ‘‘हमारा हिन्दू शंकराचायोंर् से कहना है कि वे इस धर्म की बुराइयों को दूर करें तो यह भी दुनिया में बौद्ध धर्म की तरह फैल जाएगा, तब किसी की जबरन घर वापसी नहीं करानी पडेगी. हिन्दू धर्म में फैली बुराइयों की वजह से ही अम्बेडकर ने 16 अक्तूबर 1956 को अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था.” बसपा मुखिया ने प्रधानमंत्री मोदी पर चुनावी लाभ लेने के लिये अपनी सम्पन्न जाति को अन्य पिछडे वर्ग में शामिल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के दौरान मोदी ने अन्य पिछडे वर्गोंं के वोटों को आकर्षित करने के लिये मोदी खुद को पिछडे वर्ग का बताया था लेकिन सचाई यह है कि मोदी गुजरात के ‘खान्जी’ समाज से आते हैं जो धनवान वैश्य समाज की जाति है.
मायावती ने कहा कि वर्ष 1999 में केंद्र में बनी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी दलितों और पिछडों के आरक्षण तथा अन्य सुविधाओं को निष्प्रभावी और खत्म करने के मसकद से संविधान की समीक्षा करने की योजना थी. इस साजिश के खिलाफ देशभर में जबर्दस्त आंदोलन के बाद सरकार को फैसला वापस लेना पडा था. उस समय खास सूत्रों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक साजिश यह थी कि संविधान को बदलकर देश को वर्ण व्यवस्था पर आधारित हिन्दू राष्ट्र बनाया जाए.
उन्होंने दावा किया कि आरक्षण की समीक्षा की जरुरत सम्बन्धी संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा का काफी नुकसान होता देखकर प्रधानमंत्री मोदी को मजबूरी में अपनी चुनावी जनसभाओं में कहना पडा कि वह आरक्षण को खत्म नहीं होने देंगे और उसे बचाने के लिये जान की बाजी लगा देंगे.
बसपा प्रमुख ने कहा, ‘‘मोदी जी को आरक्षण बचाने के लिये जान की बाजी लगाने की कोई जरुरत नहीं है. बस वह भागवत के आरक्षण सम्बन्धी बयान का स्पष्ट तौर पर खण्डन करा दें. लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाएंगे . ऐसी स्थिति में मोदी का आरक्षण बचाने सम्बन्धी बयान भी कोई महत्व नहीं रखता है.” उन्होंने पदोन्नति में आरक्षण सम्बन्धी संशोधन विधेयक के मामले में मोदी सरकार पर अपनी पूर्ववर्ती कांग्रेसनीत सरकार जैसा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यसभा में पारित विधेयक लोकसभा में अब तक लम्बित है. केंद्र में जब भी भाजपा की सरकार बनी तब उसने आरक्षण को निष्प्रभावी बनाने तथा खत्म करने की लगातार घिनौनी साजिश की है.