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यूपी : सुप्रीम कोर्ट का फैसला, नहीं जायेगी शिक्षा मित्रों की नौकरी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों के लिए राहत भरी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगाने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें हाईकोर्ट ने यूपी में कार्यरत 1 लाख 75 हजार शिक्षा […]

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों के लिए राहत भरी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगाने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें हाईकोर्ट ने यूपी में कार्यरत 1 लाख 75 हजार शिक्षा मित्रों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था.

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में कार्यरत 1 लाख 75 हजार शिक्षा मित्र की नियुक्ति को रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि नियमों में ढील अथवा संशोधन करने का अधिकार राज्य के पास नहीं है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब शिक्षा मित्रों का भविष्य अधर में लटक गया था.इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया.

मुख्य न्यायधीश के अलावा न्यायाधीश दिलीप गुप्ता एवं न्यायाधीश यशवंत वर्मा बेंच के जज थे. इन शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश बीएसए ने साल 2014 में जारी किया था, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है. प्रदेश में 1.71 लाख शिक्षामित्र हैं, इनकी नियुक्ति बिना टीईटी परीक्षा के ग्राम पंचायत स्तर पर मेरिट के आधार पर की गयी थी. 2009 में तत्कालीन बसपा सरकार ने इनके दो वर्षीय प्रशिक्षण की अनुमति नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) से ली. इसी अनुमति के आधार पर इन्हें दूरस्थ शिक्षा के अंतर्गत दो वर्ष का बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया.

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