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लोकायुक्त नियुक्ति मामले पर अखिलेश ने की राज्यपाल से मुलाकात

लखनऊ : लोकायुक्त की नियुक्ति तथा कई अन्य मुद्दों को लेकर सरकार और राजभवन के आपसी गतिरोध के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात की. राजभवन की तरफ से जारी बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मुलाकात के दौरान लोकायुक्त के नियुक्ति तथा कुछ विधान परिषद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2015 5:43 PM

लखनऊ : लोकायुक्त की नियुक्ति तथा कई अन्य मुद्दों को लेकर सरकार और राजभवन के आपसी गतिरोध के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात की. राजभवन की तरफ से जारी बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मुलाकात के दौरान लोकायुक्त के नियुक्ति तथा कुछ विधान परिषद सदस्य पदों पर मनोनयन के अर्से से लम्बित मामले पर विचार-विमर्श किया.

बैठक में राज्य विधानमण्डल का शीतकालीन सत्र आहूत किये जाने की सरकार की योजना के बारे में भी बात हुई. सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है कि नाईक ने अखिलेश से लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड से विचार-विमर्श के बाद रास्ता निकालने को कहा.

उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते प्रदेश सरकार को जारी नोटिस में आगाह किया था कि प्रदेश में नये लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर उसके आदेश का अनुपालन ना करने पर क्यों ना उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए.सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल लोकायुक्त की नियुक्ति को राष्ट्रपति के विचाराधीन होने की नौबत आने के पक्षधर नजर नहीं आते, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मामले में विलम्ब ही होगा.

राज्यपाल लोकायुक्त की नियुक्ति सम्बन्धी फाइल कई बार राज्य सरकार को वापस कर चुके हैं. हर बार उनका यह कहना रहा कि मुख्यमंत्री, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तथा मुख्य न्यायाधीश की बैठक करके समुचित प्रक्रिया के तहत लोकायुक्त के लिये नाम प्रस्तुत किया जाए. विधान परिषद सदस्य की पांच खाली सीटों पर मनोनयन का मामला भी लम्बे अर्से से राजभवन और सरकार के बीच गतिरोध का कारण बना हुआ है. माना जा रहा है कि राज्यपाल ने पूर्व में भेजे गये नामों के बजाय नई सूची भेजने को कहा है.

राज्य सरकार ने इस साल के मध्य में विधान परिषद की नौ खाली सीटों के लिये जो नाम भेजे थे, उनमें से चार को तो राज्यपाल ने मंजूरी दे दी थी लेकिन पांच अन्य के खिलाफ शिकायतों की वजह से उन्होंने स्वीकृति नहीं दी थी. इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण अध्यादेशों को राज्यपाल की मंजूरी मिलनी बाकी है.

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