अयोध्या : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की खातिर रविवार को पत्थरों से लदे दो ट्रकों के शहर में प्रवेश करने पर जिला पुलिस सतर्क हो गयी और हालात पर नजर रख रही है. विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, अयोध्या में विहिप की संपत्ति राम सेवक पुरम में दो ट्रकों से पत्थर उतारे गये हैं और राम जन्म भूमि के अध्यक्ष महंत नृत्य दास की ओर से ‘शिलापूजन’ किया गया है. इस बीच, महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वक्त आ गया है. रविवार को अयोध्या में ढेर सारे पत्थर पहुंच गये हैं. अब पत्थरों का पहुंचना जारी रहेगा. हमें मोदी सरकार से संकेत मिले हैं कि मंदिर का निर्माण अब किया जायेगा.
महंत ने कहा कि अभी तक राम मंदिर के लिए कानून बनाने के वास्ते राज्यसभा में बहुमत का इंतजार था. अब ऐसा नहीं है. राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने की देशभर में भव्य तैयारी चल रही है और जल्दी ही मंदिर बनायेंगे. ज्ञात हो कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का अपना प्रण दोहराते हुए विहिप ने जून में एलान किया था कि वह मंदिर निर्माण के लिए देश भर से पत्थर इकट्ठा करेगी. विहिप ने मुसलिम समुदाय को भी चेतावनी दी थी कि वह राम मंदिर निर्माण में कोई अड़ंगा न लगाये.
पिछले महीने मरे विहिप के दिवंगत नेता अशोक सिंघल ने कहा था, राम मंदिर निर्माण के लिए करीब 2.25 लाख क्यूबिक फुट पत्थरों की जरूरत है और करीब 1.25 लाख क्यूबिक फुट पत्थर अयोध्या स्थित विहिप मुख्यालय में तैयार रखे हैं. शेष एक लाख क्यूबिक फुट पत्थर देश भर से हिंदू श्रद्धालुओं से इकट्ठा किये जायेंगे.
यदि शांति भंग हुई, तो करेंगे कार्रवाई : एसपी
विहिप मुख्यालय पर पत्थरों के पहुंचने पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए फैजाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहित गुप्ता ने कहा कि पुलिस हालात पर नजर रख रही है. पत्थर लाये गये हैं और एक निजी परिसर में रखे गये हैं. इस वाकये से यदि शांति भंग होती है या सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ता है, तो हम निश्चित तौर पर कार्रवाई करेंगे. वहीं, उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव देवाशीष पांडा ने कहा था कि राज्य सरकार राम मंदिर के लिए अयोध्या में पत्थर नहीं आने देगी. चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, लिहाजा सरकार अयोध्या मुद्दे के बाबत कोई नयी परंपरा शुरू करने की इजाजत नहीं देगी.
इधर, अनोखा अभियान
अयोध्या मुद्दे के राजनीतिक और कानूनी गलियारे में फंसने के बीच हाइकोर्ट के एक रिटायर्ड जज इस मुद्दे के शांति पूर्ण हल के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. जस्टिस (रिटायर्ड) पलक बसु और उनकी टीम ने रामजन्म भूमि (बाबरी मसजिद के विवादित क्षेत्र) में एक राम मंदिर और एक मसजिद का फॉर्मूला दिया है. कहा है कि मसजिद का नाम मुगल शासक बाबर के नाम पर नहीं होगा. इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा विवादित स्थल को तीन भागों में बांटे जाने से छह महीने पहले 18 मार्च, 2010 से ही जस्टिस बसु इस कोशिश का नेतृत्व कर रहे हैं.
अपनी टीम के साथ अयोध्या और फैजाबाद शहरों में हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं. इसका लक्ष्य समान अनुपात में मुसलमानों और हिंदुओं का 10,000 हस्ताक्षर पाना है. उनका दावा है कि 7,000 से ज्यादा हस्ताक्षर मिल चुके हैं. 10,000 हस्ताक्षर पाने के बाद बसु सरकार के जरिये सुप्रीम कोर्ट जायेगी और शीर्ष न्यायालय से शांति एवं सौहार्द के लिए जन भावना का सम्मान करने की अपील करेगी.