नेशनल हेराल्ड : प्रकाशनों को फिर से शुरु करने का फैसला
लखनऊ : फिलहाल बंद चल रहे ‘नेशनल हेराल्ड’ समाचार पत्र समूह की प्रकाशक कम्पनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने अपने स्वरुप में बदलाव करते हुए गैर व्यवसायिक कम्पनी बनने का फैसला किया है. यह निर्णय आज यहां हुई कम्पनी के शेयर धारकों की विशेष आमसभा में लिया गया है. कम्पनी के स्वरुप में बदलाव के लिए […]
लखनऊ : फिलहाल बंद चल रहे ‘नेशनल हेराल्ड’ समाचार पत्र समूह की प्रकाशक कम्पनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने अपने स्वरुप में बदलाव करते हुए गैर व्यवसायिक कम्पनी बनने का फैसला किया है. यह निर्णय आज यहां हुई कम्पनी के शेयर धारकों की विशेष आमसभा में लिया गया है. कम्पनी के स्वरुप में बदलाव के लिए शेयर धारकों की सहमति के लिए आज विशेष आम सभा की तीन घंटे चली बैठक के बाद कम्पनी के प्रबंध निदेशक मोतीलाल वोरा ने संवाददाताओं को बताया कि शेयर धारकों ने कम्पनी के स्वरूप को बदलते हुए इसे गैर व्यवसायिक स्वरूप प्रदान करने के लिए आज कई प्रस्तावों पर विचार के बाद अपनी सहमति प्रदान कर दी है.
वोरा ने बताया कि आम सभा में एजेएल का नाम बदलने और इसके प्रकाशनों को पुन: शुरु करने का भी निर्णय लिया है. यह पूछे जाने पर कि कम्पनी के बंद प्रकाशन फिर कब से शुरु होंगे, वोरा ने कहा कि हम 2010 से ही प्रकाशनों को पुन: शुरू करने के बारे में गंभीरता विचार करते रहे हैं. आज शेयर धारकों की विशेष आम सभा में लिए गये निर्णय उसी दिशा में उठाये गये कदम हैं. ऐसे समय जब नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक कम्पनी एजेएल की यह आमसभा एजेएल को कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा आठ के तहत गैर-व्यवसायिक स्वरुप देने के लिये उसके 762 शेयरधारकों की रजामंदी लेने के लिये आयोजित की गयी थी। शेयरधारकों ने कम्पनी का नया रखने को भी अपनी मंजूरी दे दी है.
गौरतलब है कि धारा आठ के तहत वाणिज्य, कला, विज्ञान, खेल, शिक्षा, शोध, समाज कल्याण, धर्म, दान तथा पर्यावरण संरक्षण या अन्य किसी कल्याणकारी उद्देश्य के लिये स्थापित उपक्रम आते हैं. ऐसी कम्पनियों की गतिविधियों से प्राप्त लाभ को सिर्फ कम्पनी के उद्देश्यों की पूर्ति के काम में ही इस्तेमाल किया जा सकता है. धारा आठ की कम्पनी के शेयरधारकों को किसी तरह का लाभांश नहीं मिलता है.
एजेएल की विशेष आम सभा के बैठक की नोटिस इसके प्रबन्ध निदेशक मोतीलाल वोरा ने जारी की थी, जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत उन सात लोगों में शामिल हैं जिन्हें दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल हेराल्ड मामले में तलब किया है. एजेएल के इस कदम को उन कथित गडबडियों को ठीक करने की कवायद माना जा रहा है जिनके कारण दिल्ली की अदालत ने सोनिया, राहुल तथा अन्य को तलब किया है. नोटिस में कहा गया था कि कम्पनी का बोर्ड पिछले चार साल से ज्यादा समय से यह विचार कर रहा है कि वित्तीय लाभ कमाना कम्पनी का उद्देश्य नहीं होना चाहिये। उसे अपने सदस्यों को मुनाफा या लाभांश बांटने के बजाय व्यापक जनहित में कार्य करना चाहिये.
गौरतलब है कि वोरा तथा कम्पनी के अन्य निदेशकों द्वारा वर्ष 2010 में अपनी पूरी इक्विटी सोनिया और राहुल की बडी हिस्सेदारी वाली यंग इंडियन लिमिटेड नामक नई कम्पनी को कथित रुप से हस्तान्तरित किये जाने के बाद से एजेएल और उसके पदाधिकारी निशाने पर हैं. इनमें वोरा के अलावा ऑस्कर फर्नांडीस, सैम पित्रोदा तथा सुमन दुबे भी शामिल हैं. वाईआईएल कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत एक गैर-व्यावसायिक कम्पनी है. उसे भी यह सुनिश्चित करना है कि उसके द्वारा कमाये गये लाभ तथा अर्जित अन्य आय का इस्तेमाल सिर्फ कम्पनी के उद्देश्यों की पूर्ति में होता है. ऐसी कम्पनी भी अपने सदस्यों को लाभांश नहीं दे सकती.
एजेएल की स्थापना 1937 में पंडित जवाहर लाल नेहरु ने की थी और कम्पनी की ओर से दैनिक समाचार पत्रों नेशनल हेराल्ड और नवजीवन, हिन्दी ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था. बैठक के बाद जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि कम्पनी के स्वरुप में आज किये गये बदलाव उन्हीं उद्देश्यों को आगे बढाने पर केन्द्रित हैं जिन्हें ध्यान में रखकर कम्पनी की स्थापना की गयी थी. आम सभा की कार्य सूची पर रहे अन्य मुद्दों के बारे में पूछने पर वोरा ने कहा कि कम्पनी के नाम को बदलना भी एजेन्डे पर था.
उन्होंने कहा कि कम्पनी अधिनियम के अनुसार हमने बैठक में जो निर्णय लिए है उसे संबंधित एजेसियों के पास भेजा जायेगा और वे उस पर क्या निर्णय करते हैं. आगे की कार्यवाही उसी के अनुरुप होगी. वोरा ने बताया कि बैठक ने बहरहाल कम्पनी का नाम एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की बजाय एसोसिएटेड जर्नल रखने का फैसला किया है. यह पूछे जाने पर कि आम सभा की बैठक में आज हुए फैसलों का नेशनल हेराल्ड को लेकर अदालत में चल रहे मामलों पर क्या प्रभाव पडेगा, वोरा ने कहा कि इसका उनसे कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि यह हमारी विशेष आम सभा थी और जब कोई प्रस्ताव पारित करना होता तो ऐसी बैठक बुलाई जाती है.