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यूपी की सियासत में नया गुल खिलाएगा अमर-मुलायम का प्रेम !

आशुतोष के पांडेय लखनऊ : प्यार हमारा अमर रहेगा याद करेगा जहां. वैसे तो यह गाना फिल्म मुद्दत का है. इन दिनों यूपी की सियासत में भी यही गाना गुनगुनाया जा रहा है. कहते हैं कि सियासत में तल्ख तेवर हमेशा ताजा नहीं रहते. शायद यही कारण है कि मुलायम-अमर प्रेम इन दिनों चर्चा का […]

आशुतोष के पांडेय

लखनऊ : प्यार हमारा अमर रहेगा याद करेगा जहां. वैसे तो यह गाना फिल्म मुद्दत का है. इन दिनों यूपी की सियासत में भी यही गाना गुनगुनाया जा रहा है. कहते हैं कि सियासत में तल्ख तेवर हमेशा ताजा नहीं रहते. शायद यही कारण है कि मुलायम-अमर प्रेम इन दिनों चर्चा का विषय है. उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी नेता मुलायम सिंह ने भले ही अपनी पार्टी को मजबूत मुद्दों के आधार पर किया हो, लेकिन सियासत पर सैफई ब्रांड समाजवाद का चश्मा मुलायम की आंखों पर डालने का श्रेय अमर सिंह को जाता है. अमर सिंह उत्तर प्रदेश की सत्ता के वो धुरी थे जिनकी एक मुस्कान पर फैसले परवान पर चढ़ जाते थे. मुलायम के प्रति अमर सिंह का अगाध प्रेम यूपी में अमर-मुलायम प्रेम कथा के रूप में जाना जाने लगा था. बदलते वक्त ने सियासत की शर्तों को आगे रखा और अमर सिंह को पार्टी छोड़नी पड़ी.

अमर प्रेम पर नेताओं की नजर

हाल में अमर की मुलायम से मुलाकात को उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर देखा जा रहा है. मुलाकातों के दौर से अमर विरोधी जहां बेचैन हैं वहीं अमर सिंह अभी भी इसे व्यक्तिगत मुलाकात बताकर अपनी प्रेम की चिंगारी को बुझाने में लगे हैं. उत्तर प्रदेश की सियासत पर राजनीतिक पंडितों की नजर हमेशा बनी रहती है. इसलिये सियासी सूत्र इस मुलाकात के मायने निकालने से बाज नहीं आते. उनका मानना है कि बीजेपी ने हाल में जिस तरह से यूपी में अपनी पकड़ मजबूत की है उससे तो यही लगता है कि सपा को बीजेपी की काट खोजने के लिये अमर सिंह से माकूल व्यक्ति कोई नहीं मिलेगा. यूपी के लोकसभा चुनाव में सपा की एक नहीं चली अमित शाह यूपी को जीतकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बन बैठे. अब अमर सिंह में आस्था रखने वाले मानते हैं कि अमित शाह से मुकाबले के लिए अमर सिंह का मैदान में रहना जरूरी है. सितारों की चकाचौंध से चमकनेवाली सैफई में भले लोहिया का समाजवाद किनारे हो जाता हो. जानकार मानते हैं कि आज भी अमर सिंह हवा का रुख बदलने वाले उपाय के माहिर खिलाड़ी हैं.

अभी भी प्रिय हैं मुलायम को अमर

लंबी बीमारी से जूझने के बाद एक बार फिर सक्रिय हुए अमर सिंह को दूसरा दरवाजा दिखेगा भी नहीं क्योंकि कान से कान सटाकर सलाह सिर्फ मुलायम सिंह यादव को ही दे सकते हैं. मुलायम भी जानते हैं कि अमर सिंह में अनिवर्चनीय योग्यता है उसे समय पर भुनाया जा सकता है. इसलिये अमर सिंह के लिये किसी भी वक्त यूपी के सीएम अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव का दरवाजा हमेशा खुला रहता है. अमर प्रेम कथा के विलेन पर नजर डाली जाय तो आजम खान और रामगोपाल यादव अमर सिंह का प्रवेश पार्टी में कभी नहीं होने देना चाहते हैं. यह बात भी तय है कि सपा में अंतिम फैसला हमेशा नेताजी यानि मुलायम सिंह यादव का होता है. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि अमर सिंह के पार्टी में आने से एक नई जान आएगी और यूपी की सियासत में एक नया अध्याय जुड़ेगा. हाल में अखिलेश यादव द्वारा विधान परिषद उम्मीदवारों की जो सूची जारी की गयी है, उसमें ज्यादातर वह लोग हैं जो नौवजवान हैं और उनकी अपने समाज में गहरी पैठ बतायी जाती है. अमर के विरोधी कहते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि अमर सिंह और मुलायम की दोस्ती में दरार गहरी है और ऊपर से रहीम के दोहे गाकर सुना देते हैं जिसमें रहीम ने कहा है कि रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाये, टूटे पै फिर ना जुड़े, जुड़े गाठ परि जाए.

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यूपी की सियासत में नया गुल खिलाएगा अमर-मुलायम का प्रेम! 2



अमर ने मुलायम के खिलाफ बोले थे बोल

अमर-मुलायम प्रेम के बीच जो सबसे महत्वपूर्ण बात है, वह है, अमर का मुलायम को लेकर दिया गया सार्वजनिक बयान जिसकी लिस्ट इन दिनों अमर के दुश्मन तैयार कर रहे हैं. इस लिस्ट में अमर सिंह के उन चर्चित बयानों की चर्चा है जो उन्होंने मुलायम के खिलाफ कभी दिये थे. जब रिश्तों की तल्खी चरम पर थी. सपा से निकाले जाने के बाद अमर सिंह ने 2010 में एक बयान दिया था और कहा था कि मुलायम सिंह या तो आप लोहियावादी नहीं या फिर अपने स्वार्थी मुलायमवाद का सफेद झूठ लोहिया जी पर मढ़ना चाहते हैं. मेरी गलती थी मैंने 14 साल तक इस धांधली को नहीं देखा. मुलायम के प्रति अमर ने और भी कठोर वचन का प्रयोग किया और कहा कि मुलायम सिंह यादव ने लोहिया के सिद्धांतों की बलि चढ़ा दी. अमरे यहीं पर नहीं रुके 21 फरवरी 2012 को कहा कि यूपी में भ्रष्टाचार में मायावती और मुलायम दोनों साझीदार हैं. हाल के दिनों में अमर ने कहा कि मुलायम का वश चले तो वह रेप को भी जायज ठहरा दें. अमर ने यह भी कहा कि मैं मुलायम के लिये एकमात्र एकलव्य बनकर संतुष्ट हूं, पर एकलव्य की तरह अपना अंगूठा उन्हें नहीं दूंगा. अमर ने अपने राजनीतिक निर्वाण के लिये सपा के नेता रामगोपाल यादव को जिम्मेदार बताया और मुलायम सिंह यादव पर समय-समय पर टिप्पणी करते रहे.

कुछ पक रहा है अंदरखाने

राजनीतिक गलियारों में इन दिनों जोर-शोर से चर्चा है कि अमर और मुलायम फिर से दोस्त बनने जा रहे हैं. यह बात भी सोचने वाली है कि बनने जा रहे दोस्तों की ओर से कुछ नहीं कहा जा रहा है.इशारों-इशारों में ही सही इस मेल-मुलाकात के मायने तो निकाले ही जा रहे हैं. पहले जनेश्वर मिश्र पार्क में हुये अमर-मुलायम मुलाकात के बाद दोस्ती की चिंगारी उठने लगी थी. जब अमर सिंह बीमार हुए तो मुलायम ने उनका हालचाल लिया उसके बाद तो जैसे दोस्ती की बात को पंख लग गये. दिल्ली में मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह से मिलकर अमर प्रेम की कहानियां बैठकर सुन क्या ली अमर-मुलायम में आस्था रखने वालों की बांछें खिल गई. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि यह अमर प्रेम यूपी विधानसभा में कोई गुल खिलाएगा.










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