मंत्री का ‘स्टिंग आपरेशन” करने वाले चैनल कर्मियों को मिला एक हफ्ते का समय

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा ने वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान सूबे के वरिष्ठ काबीना मंत्री मुहम्मद आजम खां का कथित ‘स्टिंग आपरेशन’ करने वाले एक निजी समाचार चैनल के सम्बन्धित कर्मचारियों को सदन में पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दे दी. मुजफ्फरनगर दंगों में खां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 26, 2016 9:19 PM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा ने वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान सूबे के वरिष्ठ काबीना मंत्री मुहम्मद आजम खां का कथित ‘स्टिंग आपरेशन’ करने वाले एक निजी समाचार चैनल के सम्बन्धित कर्मचारियों को सदन में पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दे दी.

मुजफ्फरनगर दंगों में खां की संलिप्तता का दावा करते स्टिंग आपरेशन को अंजाम देने और उसे प्रसारित करने वाले चैनल के अधिकारियों को अपना पक्ष रखने के लिए सदन में आज उपस्थित होना था, मगर उन्होंने एक पत्र भेजकर गुजारिश की कि चूंकि उसे इस संबंध में नोटिस 24 फरवरी को ही मिली है, इसलिए इतने कम समय में वह अपने कर्मियों को सदन में पेश करने में असमर्थ है लिहाजा उसे कुछ समय दे दिया जाए.
सदन में विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे द्वारा पढे गये पत्र के अनुसार चैनल ने यह भी कहा कि पेशी के लिए बुलाये गये अधिकारियों में से दो पद्मजा जोशी और दीपक शर्मा अब उनके साथ नहीं है और उनसे सम्पर्क करने का प्रयास किया जा रहा है इसलिए भी और समय की जरुरत है.चैनल की गुजारिश को स्वीकार करते हुए विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने सम्बन्धित चैनलकर्मियों को हफ्ते भर की मोहलत देते हुए आगामी चार मार्च को सदन में पेश होने का आदेश दिया. विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे द्वारा सदन में पढे गये खत में चैनल ने स्टिंग की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट भी मांगी है.
इस मामले में जवाब देते हुए आजम खां ने कहा कि उन पर लगाये गये गम्भीर इल्जामात से उन्हें बहुत तकलीफ हुई है और वह इस्तीफा देेने को तैयार हैं. उन्होंने सदन में अपना त्यागपत्र हाथ में उठाकर दिखाया और कहा, ‘‘यदि सदन का एक भी सदस्य मुझे दोषी मानता है तो मैं समझता हूं कि मुझे मंत्री पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है.” इस मामले में भाजपा को छोडकर बाकी सभी दल खां के साथ नजर आये.
सदन में शून्यकाल शुरु होते ही निर्धारित एजेंडे के अनुसार जैसे ही यह मुद्दा लिया गया सभी दलों के नेताओं ने भाजपा को निशाने पर लिया, जिसने सदन की सर्वदलीय जांच समिति की गठन प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए खुद को उससे अलग रखा था और सदन में प्रस्तुत रिपोर्ट से अपनी असहमति जतायी थी.
भाजपा और अन्य दलों के सदस्यों के बीच तीखी तकरार और नारेबाजी भी हुई, जिसके कारण हुए हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही 15 मिनट स्थगित रही. हालांकि सभी दलों के नेताओं ने न्याय के नैसर्गिक सिद्वांत के अनुसार चैनल को अपना पक्ष रखने के लिए मोहलत दिये जाने की गुजारिश का समर्थन किया. बसपा और प्रतिपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिस तरीके से जालसाजी से गढे गये आधारो पर खां को कटघरे में खडा करने की कोशिश की गयी वह खां का दर्द समझ सकते हैं.
भाजपा पर तीखा हमला करते हुए मौर्य ने जांच प्रक्रिया से उसके अलग रहने पर सवाल उठाया और कहा कि ऐसा करके उसने यह दिखा दिया है कि स्टिंग आपरेशन उसकी शह पर किया गया था.उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के व्यवहार से उस पर लगने वाले सांप्रदायिकता के आरोपों की भी पुष्टि हुई है

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