लखनऊ : उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री मोहम्मद आजम खां ने उप्र नगर निगम संशोधित विधेयक 2015 को विधानसभा से पारित किये जाने के बाद भी राज्यपाल द्वारा स्वीकृत न किये जाने पर अफसोस जताते हुए आज कहा कि लगता है कि एक पार्टी विशेष की वजह से इस विधेयक को मंजूरी नहीं मिल पा रही है. खां ने विधानसभा में कहा कि पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से उक्त विधेयक राज्यपाल की स्वीकृति के लिए पड़ा हुआ है मगर अब तक इसको स्वीकृति नहीं मिल पायी है.
इस विधेयक में प्रदेश के मेयरों को भी वित्तीय एवं अन्य गलतियों परदंडित किये जाने का प्रावधान है. अभी तक इस नियम के तहत नगर निकाय के अध्यक्षों को ही दंडित करने का प्रावधान था. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि राज्यपाल पता नहीं क्यों इस विधेयक को स्वीकृति नहीं दे रहे हैं और लगता है कि मेयरों की बेइमानी को बचाने के लिए हस्ताक्षर नहीं किये जा रहे जो बेहद दुख की बात है. उन्होंने कहा कि इस बात पर गंभीरता से विचार होना चाहिए कि लंबे समय से विधेयक राजभवन में रोक लिए जाते है और इस स्थिति से बचनेे के लिए कोई न कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए. खां ने यह भी कहा कि भाजपा को यह आशंका है कि इस विधेयक के लागू होने से मेयर भी दंडित हो जायेंगे.
भाजपा सदस्य सुरेश खन्ना ने संसदीय कार्यमंत्री के बयान पर कहा कि राज्यपाल अथवा राजभवन के किसी भी क्रियाकलाप पर सदन मे चर्चा नहीं की जा सकती है और अध्यक्ष से मांग की कि खां ने जो भी आक्षेप राज्यपाल पर लगाये है उन्हें सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाये. खां ने कहा कि क्या यह सदन की पीड़ा नहीं है कि लंबे समय से विधेयक लटके पड़े हैं. न तो कोई आपत्ति जताते हुए विधेयक को वापस किया जा रहा और न ही उसे मंजूरी दी जा रही है. इस समस्या को सुलझाने के लिए कोई न कोई रास्ता निकलना चाहिए. अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि यह राज्यपाल का संवैधानिक अधिकार है कि वह विधेयक को रोक सकते हैं. जहां तक संसदीय कार्यमंत्री की भावनाओं की बात है उनसे राज्यपाल को अवगत करा दिया जायेगा जायेगा. भाजपा सदस्य की मांग पर पाण्डेय ने कहा कि जो भी असंवैधानिक होगा उसे कार्यवाही से निकाल दिया जायेगा.