लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधान परिषद में आज मुजफ्फरनगर दंगों की जांच के लिये गठित विष्णु सहाय जांच आयोग की रिपोर्ट को लेकर बसपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया और भाजपा सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिये स्थगित करनी पड़ी. शून्यकाल के दौरान मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित जांच रिपोर्ट को सदन में पेश किया गया। इस पर बसपा सदस्यों ने सवाल खड़े करते हुए उसे सिरे से खारिज करने योग्य बताया। उन्होंने कहा कि दंगों की जांच रिपोर्ट में सिर्फ लीपापोती की गयी है. बसपा सदस्यों ने आरोप लगाया कि आयोग की रिपोर्ट पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है. इसमें सरकार को बचाया गया है और असल दोषियों का बचाव किया गया है. दंगे भडकना बेहद गम्भीर मामला था लेकिन सरकार ने इसमें समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की.
नेता सदन अहमद हसन ने बसपा सदस्यों के आरोपों को गलत करार देते हुए कहा कि यह पहली सरकार है जिसने दंगों के लिये जांच आयोग नियुक्त किया. उन्होंने कहा कि आयोग की जांच रिपोर्ट भी तर्कसंगत है. हालांकि बसपा सदस्य हसन के जवाब से असंतुष्ट होकर नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गये.
विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट को ही लेकर भाजपा सदस्यों ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में विपक्षी दलों को निशाना बनाया गया जबकि सरकार और उसके लोगों को बचाया गया है. भाजपा दल के नेता हृदयनारायण दीक्षित तथा पार्टी के अन्य सदस्यों ने सदन के बीचोबीच आकर हंगामा शुरु कर दिया. इसी बीच, नेता सदन ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग दंगा कराते हैं. जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के बेगुनाह अध्यक्ष कन्हैया कुमार को जेल भेजा गया। भाजपा का इसी तरह का भडकाने वाला रवैया रहा है.
सभापति ओमप्रकाश शर्मा ने भाजपा सदस्यों से अपने-अपने स्थान पर बैठने को कहा लेकिन हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित कर दी गयी. इसके पूर्व, सभापति ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी. ए. संगमा, पूर्व विधान परिषद सदस्य शांति देवी तथा मोहन लाल खट्टर के निधन पर शोक व्यक्त किया। उसके बाद सभी सदस्यांे ने इन दिवंगत महानुभावों की आत्मा की शांति के लिये कुछ क्षण का मौन रखा.