लखनऊ : ग्रामीण जनाधार वाली पार्टी की पहचान से इतर नया कलेवर लेकर उत्तर प्रदेश की सत्ता में आयी समाजवादी पार्टी :सपा: सरकार मंगलवार को अपने गठन के चार साल पूरे कर लेगी. इस दौरान अखिलेश यादव सरकार ने जहां प्रदेश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने के कई अच्छे प्रयास किये वहीं कानून-व्यवस्था इस पूरी अवधि में बड़ा सवाल बनी रही. चुनावी साल में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने घोषणापत्र के वे जटिल वादे पूरे करने की होगी, जो अब सरकार की नीति और नीयत का प्रश्न बन गये हैं. दूसरी ओर, विपक्षी दलों के मुताबिक पिछले चार साल के दौरान अखिलेश के शासन में सूबा विकास की दौड़ में पिछड़ने के साथ-साथ अराजकता के शिकंजे में जकड़ गया है.
सपा के प्रान्तीय सचिव एस. आर. एस. यादव ने यहां बताया कि सपा सरकार के चार साल पूरे हो गये हैं. प्रशासनिक दृष्टि से देखें तो यह उत्तर प्रदेश की सफलतम सरकार है, जिसने अपने कार्यों से दूसरे राज्यों के लिये आदर्श और मानक तय किये हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कोशिश रही है कि समाज का हर वर्ग योजनाओं से लाभान्वित हो. जनता के बीच अखिलेश की छवि बेदाग और ईमानदार मुख्यमंत्री की है. अखिलेश ने पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में कत्ल किये जा चुके लोकतंत्र को फिर से जिंदा किया है. अगर किसी को तुलना करनी हो तो मायावती का जमाना याद कर ले, जिसमें मुख्यमंत्री से मिलना तो दूर, किसी को अपनी जायज मांगों के लिये प्रदर्शन करने तक की मनाही थी. यादव ने कहा कि सरकार ने जनता के लिये काम किया है और अब इस पर उसकी राय जानने के लिये समाजवादी जनसंवाद अभियान के तहत ‘गांव-गांव अखिलेश’ यात्रा शुरु की है. इससे मिलने वाली रिपोर्ट की मदद से खामियों को पहचानकर उन्हें दूर किया जाएगा.
यादव ने कहा कि सरकार ने बिजली के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और वह अक्तूबर 2016 तक शहरों को 20 से 24 घंटे और गांवों को 14 से 16 घंटे बिजली देने के अपने वादे को पूरा करेगी. उन्होंने कहा कि चिकित्सा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा से खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों को खासी सुविधा मिली है. इसके अलावा लखनउ समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों खासकर पिछडे जिलों में अत्याधुनिक अस्पतालों के निर्माण की कवायद शुरु करके तथा जिला चिकित्सालयों में सस्ता इलाज उपलब्ध कराने की दिशा में भी सरकार ने सार्थक प्रयास किये हैं. इस बीच, उद्योग मण्डल ‘एसोचैम’ के महासचिव डी. एस. रावत का कहना है कि अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल के बाद के दो वर्षों में उद्योग क्षेत्र को बढावा देने के लिये सार्थक प्रयास किये हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि पिछले कुछ अरसे से प्रदेश में नया निवेश नहीं आया है लेकिन सरकार उद्यमियों को सूबे में अच्छा माहौल देने में जरूर कामयाब रही है.
हालांकि ‘पूरे हुए वादे, अब हैं नये इरादे’ का नारा देने वाली अखिलेश सरकार के सामने अपने घोषणापत्र के कुछ जटिल वादे पूरे करने की चुनौती है. सरकार पर खासकर मुसलमानों से किये गये वादे पूरे ना करने के आरोपों की बौछार चुनाव नजदीक आने के साथ ही तेज होती जा रही है. सपा ने अपने घोषणापत्र में सच्चर समिति की सिफारिशों की रोशनी में मुसलमानों को दलितों की तरह जनसंख्या के आधार पर अलग से आरक्षण देने, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की आड में जेल में डाले गये सूबे के बेकुसूर मुस्लिम नौजवानों को रिहा कराकर उन्हें मुआवजा दिलाने और उन्हें कलंकित करने वाले अफसरों को सजा दिलाने के वादे किये थे। ये वादे अब तक अधूरे ही हैं.