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आजम खां संसदीय कार्यमंत्री के पद पर काम करने लायक नहीं : राम नाईक

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और संसदीय कार्यमंत्री मोहम्मद आजम खां के बीच तल्‍खी कम होने का नाम नहीं ले रही है. दोनों के बीच नोंकझोंक जारी है. इधर राज्‍यपाल राम नाईक ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि आजम खां संसदीय कार्य मंत्री के पद पर काम करने लायक नहीं हैं. […]

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और संसदीय कार्यमंत्री मोहम्मद आजम खां के बीच तल्‍खी कम होने का नाम नहीं ले रही है. दोनों के बीच नोंकझोंक जारी है. इधर राज्‍यपाल राम नाईक ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि आजम खां संसदीय कार्य मंत्री के पद पर काम करने लायक नहीं हैं.

गाजियाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान राज्‍यपाल ने कहा, आजम खां मंत्री लायक नहीं हैं, उन्‍हें तत्‍काल पद से हटा दिया जाना चाहिए. राज्‍यपाल ने मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव से आजम खां को मंत्री पद से हटाने की मांग की है. उन्‍होंने कहा, जिस तरह से आजम खां ने विधानसभा में उनके खिलाफ असंसदीय भाषा का प्रयोग किया है, उसके बाद वह इस पद पर बने रहने लायक नहीं हैं. मीडिया से बातचीत में उन्‍होंने कहा, आजम को मंत्री पद से हटाने के संबंध में मुख्‍यमंत्री से उनकी बात हुई है.

* राज्‍यपाल ने सरकार पर भी लगाया गंभीर आरोप
आजम खां मामले को लेकर राज्‍यपाल रामनाईक ने सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाया है. उन्‍होंने कहा, विधानसभा कार्रवाई की जो वीडियो जारी की गयी है उसमें कांट-छांट किया गया है. उन्‍होंने कहा, 60 टिप्‍पणियों में से 20 टिप्‍पणी को वीडियो से काट कर हटा दिया गया है.
* आजम की योग्‍यता पर भी राज्‍यपाल ने उठाया सवाल
राज्‍यपाल राम नाईक इस मामले को लेकर विधानसभा अध्‍यक्ष को भी पत्र लिख चुके हैं. विधानसभा में अपने प्रति की गयी टिप्पणी को परखने के लिये मांगी गयी सामग्री के अवलोकन के बाद विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को लिखे पत्र में तल्ख रुख अपनाया है और कहा है कि उन्हें खां का वक्तव्य उनकी योग्यता पर सवाल उठाता है और इस बारे में उन्हें मुख्यमंत्री से विचार करना पड़ेगा.
विधानसभा अध्यक्ष पांडेय द्वारा गत 15 मार्च को आजम खां की टिप्पणी के बारे में भेजी गयी असंपादित सीडी और लिखित कार्यवाही का अवलोकन करने के बाद राज्यपाल ने उन्हें लिखे पत्र में कहा है ‘‘प्राप्त असम्पादित एवं सम्पादित मुद्रित प्रति के अवलोकन से स्पष्ट है कि संसदीय कार्य मंत्री आजम खां द्वारा आठ मार्च 2016 को विधानसभा में राज्यपाल के प्रति की गयी लगभग 60 पंक्ति की टिप्पणी में से 20 पंक्तियां हटा दी गयी हैं.”
नाईक ने पत्र में कहा ‘‘विधानसभा की कार्यवाही से संसदीय कार्यमंत्री के वक्तव्य की 33 प्रतिशत पंक्तियां हटाना यह दर्शाता है कि उनकी भाषा विधानसभा की गरिमा, मर्यादा और परम्परा के अनुकूल नहीं है. सदन में संसदीय कार्य मंत्री का वक्तव्य संसदीय कार्य मंत्री के रुप में उनकी योग्यता पर प्रश्न चिह्न के समान है. इस विषय पर मुख्यमंत्री जी से मुझे विचार करना पड़ेगा.” राज्यपाल ने पत्र में कहा कि वह इस खत को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास भी उनके संज्ञान के लिये भेज रहे हैं.
* क्या है मामला
आजम खां ने आठ मार्च को विधानसभा में कहा था कि सदन से पारित किये जाने के बाद भी राज्यपाल नगर निगम संशोधन विधेयक को मंजूरी नहीं दे रहे हैं. इस विधेयक में प्रदेश के मेयरों को भी वित्तीय एवं अन्य गलतियों पर दण्डित किये जाने का प्रावधान है. अभी तक इस नियम के तहत नगर निकाय के अध्यक्षों को ही दण्डित करने का प्रावधान था.
संसदीय कार्यमंत्री ने सदन में कहा था कि राज्यपाल पता नहीं क्यों इस विधेयक को स्वीकृति नहीं दे रहे है और लगता है कि मेयरों की बेइमानी को बचाने के लिए हस्ताक्षर नहीं किये जा रहे जो बेहद दुख की बात है. उन्होंने कहा था कि जिस तरीके से राज्यपाल ने साल भर से इस विधेयक को रोक रखा है, उससे ऐसा लगता है कि वे किसी दल विशेष के प्रभाव में काम कर रहे हैं.
गौरतलब है कि प्रदेश में अधिकांश महापौर भारतीय जनता पार्टी के है. खां ने यह भी कहा कि भाजपा को यह आशंका है कि इस विधेयक के लागू होने से मेयर भी दण्डित हो जायेंगे.

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