कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं होती, और इसे सार्थक करने की कोशिश कर रही हैं उत्तर प्रदेश स्थित साहिबाबाद निवासी राजकुमारी त्यागी, जिनकी उम्र 77 साल है और वो कानून की पढ़ाई करने की इच्छुक हैं. आपको बता दें कि एलएलबी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए अधिकतम उम्र सीमा 30 वर्ष निर्धारित कर दिये जाने के बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के नए नियम को चुनौती दी है.
उत्तर प्रदेश स्थित साहिबाबाद निवासी राजकुमारी त्यागी ने तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं मिलने पर एक याचिका दायर कर इस मुद्दे पर पहले से लंबित उस विषय में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया, जिसमें बीसीआई के नियम को चुनौती दी गई है.
याचिक में ये किया दावा
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि बीसीआइ के नए नियमों से संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन होता है। 19(1) के तहत किसी भी व्यवसाय को करने के अधिकार में बाधा और 21 के जीवन और निजी स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होता है. लिहाजा, याचिकाकर्ता त्यागी ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें अनुच्छेद-21 के तहत किसी भी संस्थान या अपनी पसंद के कालेज से कानून की शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है.
वृद्ध महिला ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि उन्हें अपनी पसंद के कालेज या शिक्षण संस्थान से विधि की पढ़ाई करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है और संविधान का अनुच्छेद 21 इसकी रक्षा करता है.
वृद्धा की ऐसे बढ़ी कानून की पढ़ाई में रूचि
याचिका में कहा गया है कि अपने पति के देहांत के बाद उनकी अचल संपत्ति को संभालने के लिए उनकी विधि की शिक्षा में रुचि बढ़ गई. उन्हें उस दौरान कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा और उन्हें हर पड़ाव पर एक वकील की जरूरत महसूस हुई. फिर चाहे वह वसीयत से संबंधित कानून हों या फिर दस्तावेजों के जरिये पहचान साबित करना हो.
Submitted By: Shaurya Punj