लखनऊ : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आज उन खबरों को सीरे से खारिज कर दिया जिसमें उनके कांग्रेस का साथ छोड़ने की बाते हो रही थीं. उन्होंने कहा कि कांग्रस का साथ छोड़ने की खबर अफवाह है. उत्तर प्रदेश चुनाव तक वे कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ेंगे. इससे पहले खबरे आ रही थीं कि वे कांग्रेस से इन दिनों नाराज चल रहे हैं. 2014 में भाजपा की नैया पार लगाने वाले और 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को बिहार की सत्ता दिलाने वाले महारथी कांग्रेस में आजादी के साथ नहीं काम करने देने के कारण नाराज चल रहे थे.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशांत को पार्टी के अंदर रोक-टोक पच नहीं रहा है. खबर आ रही थी कि नाराजगी के कारण वे जल्द ही कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ सकते हैं. आपको बता दें कि कांग्रेस ने प्रशांत को उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव के लिए जिम्मेदारी दी है.
राहुल गांधी ने किया है हायर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत को भले ही कांग्रेस ने दो राज्यों के लिए रणनीति बनाने की जिम्मादारी सौंपी हो लेकिन उन्हें अपने तरीके से काम करने की आजादी नहीं मिल रही है जिसके कारण वे नाराज हैं. किशोर के करीबी सूत्रों की माने तो बातें अब बर्दास्त के बाहर हो गई है जिसके कारण प्रशांत कांग्रेस की जिम्मेदारी छोड़ सकते हैं. गौरतलब है कि बिहार चुनाव के फौरन बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रशांत को कांग्रेस के लिए हायर किया था.
ये हैं नाराजगी के कारण
सूत्रों की माने तो कांग्रेस के कई नेताओं का साथ प्रशांत को नहीं मिल रहा है. ये नेता उन्हें बाहरी मानते हैं और अकसर प्रशांत के काम में दखलंदाजी करते हैं. इधर प्रशांत ने कहा कि राहुल या प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए सीएम कैंडिडेट प्रोजेक्ट किया जाना चाहिए लेकिन उनके इस मांग को कांग्रेस ने नकार दिया. प्रशांत ने कहा था कि कमलनाथ, गुलाम नबी आजाद और शीला दीक्षित की एक टीम बनाई जाए और उन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव का काम देखने को कहा जाए लेकिन इस बारे में अब तक पार्टी की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया.
उन्होंने यह भी मांग की थी कि यदि राहुल या प्रियंका को चुनाव में चेहरा नहीं बनाया जाता है तो दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को प्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए परंतु इस बात को भी पार्टी ने तवज्जो नहीं दी. खबर है कि किशोर को राहुल और प्रियंका का समर्थन हासिल है लेकिन इसके बावजूद उन्हें चेतावनी दी जा रही है.
क्यों चिंतित हैं किशोर
जानकारों की माने तो यदि प्रशांत कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सफलता दिलाने में कामयाब नहीं होती है तो उनकी साख को आघात लगेगा और उनकी छवि को नुकसान पहुंचेगा. यदि कांग्रेस उनकी बातों को इसी प्रकार नजरअंदाज करते रहती है तो प्रशांत किशोर ज्यादा दिन तक ‘हाथ’ के साथ नहीं नजर आयेंगे.