कम बारिश और आयात में कमी ने बढ़ाये दालों के दाम : पासवान

लखनऊ : केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली मंत्री रामविलास पासवान ने देश में दालों के दाम बढ़ने के लिये पिछले दो साल के दौरान हुई कम बारिश और आयात में कमी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने दाल की कमी से निपटने के लिये ठोस उपाय किये हैं और वह राज्यों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2016 7:04 PM

लखनऊ : केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली मंत्री रामविलास पासवान ने देश में दालों के दाम बढ़ने के लिये पिछले दो साल के दौरान हुई कम बारिश और आयात में कमी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने दाल की कमी से निपटने के लिये ठोस उपाय किये हैं और वह राज्यों को सस्ती दर पर दाल उपलब्ध कराने को तैयार है.

पासवान ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में एक सवाल पर कहा कि दाल के दाम बढ़ने के कई कारण हैं. पहला, पिछले दो साल के दौरान कम बारिश के कारण फसलें खराब हुई. दूसरा, दाल का आयात कम किया गया. उन्होंने कहा कि पिछले साल जहां देश में दाल का कुल उत्पादन 171 लाख टन हुआ था, वहीं मांग 226 लाख टन थी। इस बार यह खपत 236 लाख टन होने का अनुमान है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दाल का आयात करने वाले निजी आयातकों ने पिछली बार जरूरत से कम आयात किया, जिसकी वजह से दाल आम लोगों की थाली तक मुश्किल से पहुंची. फिर भी, सरकार ने दाल की कमी से निपटने के लिये ‘बफर स्टॉक’ बनाया है और कई अन्य रास्ते भी अपनाये जा रहे हैं.

पासवान ने दावा किया कि राज्य सरकारें जितनी चाहें, केंद्र सरकार उन्हें उतनी दाल उपलब्ध कराने को तैयार है. राज्यों से आग्रह है कि वे दाल को 120 रुपये प्रति किलोग्राम के दाम पर बेचने की पुख्ता व्यवस्था करें. इससे जनता को राहत मिलेगी. उन्होंने भूख के कारण होने वाली मौतों पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि जन वितरण प्रणाली में अभी भ्रष्टाचार व्याप्त है. उन्होंने बांदा में हाल में एक गरीब किसान की कथित रुप से भूख के कारण हुई मौत का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से अनाज की कोई कमी नहीं रखी है. ऐसे में भूख से मौत की खबरें चिंताजनक हैं.

रामविलास पासवान ने बताया कि राज्यों से कहा गया है कि वे अपने यहां खाद्य आयोग गठित करें. इसके अलावा जिलों में भी जन वितरण निगरानी प्रकोष्ठ बनायें, ताकि सभी को अनाज मिल सके. उन्हाेंने कहा कि केंद्र सरकार गरीब परिवारों को दो रुपये प्रति किलोग्राम गेहूं और तीन रुपये प्रति किलोग्राम चावल दे रही है, लेकिन कुछ राज्य सरकारें इसका श्रेय खुद ले रही हैं जो कि गलत बात है. देश में इस वक्त 14 करोड़ 44 लाख लाभार्थियों को दो रुपये प्रति किलो गेहूं और तीन रुपये प्रति किलो चावल दिया जा रहा है. इसमें राज्य सरकारों का एक पैसे का भी अंशदान नहीं है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून इस वक्त देश के 33 राज्यों में लागू हो चुका है और जल्द ही यह सभी 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो जायेगा. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड को वितरण व्यवस्था से जोड़े जाने से अब तक एक करोड़ 62 लाख जाली राशनकार्डों का खुलासा हुआ है. इससे 10 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत हुई है.

पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार उपभोक्ताओं के हितों की पूर्ण सुरक्षा के लिये बेहद गंभीर है. केंद्र द्वारा प्रस्तावित उपभोक्ता संरक्षण कानून में उपभोक्ताओं से जुड़े वादों की प्रक्रिया को सरल किया गया है. इसके अलावा भ्रम फैलाने वाले विज्ञापनों तथा मिलावट के मामलों में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कड़ी से कड़ी कार्रवाई की व्यवस्था की गयी है.

उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि यह पहली सरकार है जो हर साल अपने कामकाज का ब्यौरा जनता के सामने रखती है. यह सरकार जब बनी थी तो कहा जा रहा था कि यह कारपोरेट हाउस की सरकार है लेकिन उसने दो साल में यह साबित किया है कि वह गरीबों, मजदूराें और आम जनता की सरकार है.

पासवान ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का राष्ट्रीय स्तर पर अपमान होता रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी उन्हें सम्मान दिया.

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