मथुरा :इस घटना के बाद शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी की मां ने अखिलेश यादव के 20 लाख के मुआवजे के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. उन्होंने कहा है कि अखिलेश हमसे 20 लाख रुपये और ले लें, लेकिन वे मेरे बेटे को वापस ले आयें. उन्होंने मेरे बेटे को मथुरा भेजा था, जहां उसकी मौत हो गयी. शहीद एसपी के एक अन्य भाई हैं, जो दुबई में रहते हैं. वे अपने परिवार के साथ वापस घर लौट आये हैं. शहीद एसपी के पिता श्रीचंद द्विवेदी ने मीडिया से कहा है कि हमारी उम्र 77 साल है और इस उम्र में किसी का बेटा मर जाये तो इससे बड़ा और दुख क्या होगा. उन्होंने कहा कि हमें जिंदा रहने की इच्छा नहीं है. श्रीचंद शुक्ल ने कहा कि और भी शहीद हैं और उनके माता-पिता इस दर्द को झेल रहे हैं, हमें भी झेलना होगा.
पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारुद बरामद किया है और 320 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. क्षेत्र में तनाव बरकरार है. उत्तरप्रदेश के डीजीपी जावेद अहमद ने कहा है किइसहिंसा का मुख्य गुनाहगार रामवृक्ष यादव जिंदा है या कल की हिंसा में मारा गया यह अभी स्पष्ट रूप से पता नहीं है, लेकिन अगर वह जीवित है तो उसे हम नहीं छोड़ेंगे.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मथुरा के मंडलायुक्त को घटना की जांच कराने के आदेश दिए हैं.
शहर स्थित जवाहर बाग में करीब तीन हजार लोगों ने 260एकड़ से अधिक के एक भूखंड पर पिछले दो साल से अवैध कब्जा कर रखा था. उन्होंने वहां शिविर स्थापित कर लिया था.
केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार से घटना पर रिपोर्ट मांगी है तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यादव से बात की और उन्हें सभी आवश्यक मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया.
राज्य के पुलिस महानिदेशक जावेद अहमद के अनुसार पुलिसकर्मी जब अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए इलाके की टोह लेने के उद्देश्य से पहुंचे तो अवैध कब्जा जमाए बैठे लोगों ने पुलिसकर्मियों पर ‘‘बिना उकसावे’ के गोलीबारी की, पथरवा किया और लाठी-डंडों से हमला बोल दिया. इससे नगर पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी और फरह थाना प्रभारी संतोष यादव की मौत हो गयी.
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस टीमों ने खुद को पुनर्गठित किया. दो शेल्टरों को खाली कराए जाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने वहां रखे गैस सिलेंडरों और गोला बारुद में आग लगा दी जिससे अनेक विस्फोट हुए.’ अहमद ने कहा, ‘‘हिंसा में 22 दंगाई मारे गए. इनमें से 11 लोग प्रदर्शनकारियों द्वारा लगायीगयी आग से मारे गए.’ मृतकों में एक महिला भी शामिल है.
पुलिस महानिदेशक ने मृत अधिकारियों को श्रद्धांजलि देने के बाद कहा, ‘‘हमारे दो युवा अधिकारी कानून की रक्षा करतेहुए मारे गये हैं. हमने उन्हें भारी मन से विदाई दी है.’ उन्होंने बताया कि इस संघर्ष में घायल 23 पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से कुछ पुलिसवाले गोली लगने के कारण गंभीररूप से घायलहुए हैं.’ उन्होंने बताया कि हमने इलाके से 47 बंदूकें, छह राइफलें और 178 ग्रेनेड बरामद किये हैं. इसके अलावा हमने सीआरपीसी की धारा 151 के तहत 116 महिलाओं समेत कुल 196 व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया है. सभी की गिरफ्तारी एहतिहाती तौर पर की गयी है. उल्लेखनीय है कि आजाद भारत वैदिक वैचारिक क्रांति सत्याग्रही के तत्वाधान में प्रदर्शन कर रहे अतिक्रमणकारियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर बेदखल किया जा रहा था. अतिक्रमणकारियों के बाबा जयगुरुदेव के समूह का होने का अंदेशा है. उन्होंने ‘धरना’ के बहाने भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है. वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के चुनाव को ‘रद्द’ करने और मौजूदा नकदी के स्थान पर ‘आजाद हिंद फौज’ की नकदी चलाने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा उनकी एक रुपये में 60 लीटर डीजल और एक रुपये में 40 लीटर पेट्रोल बेचने की मांग भी है. पुलिस महानिदेशक ने बताया, ‘‘रामवृक्ष यादव, चंदन बोस, गिरीश यादव और राकेश गुप्ता मुख्य अपराधी और समूह के मुखिया हैं. यह यदि जीवितहुए तो उन्हें पकड़ लिया जाएगा.’ उन्होंने बताया कि इस हिंसा में मारे गये 22 व्यक्तियों की पहचान अभी नहींहुई है. आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि इसी बीच लखनऊ में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मथुरा के संभागीय आयुक्त को मामले की जांच करने के आदेश जारी कर दिये हैं. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मथुरा की स्थिति का जायजा लेने की बात कही है. सिंह ने कहा, ‘‘मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस मामले में बात की है और मथुरा की स्थिति का अवलोकन कर रहे हैं. मैंने मुख्यमंत्री को सभी संभव मदद मुहैया कराने की बात कही है. राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘मैं मथुरा की घटना में लोगों के मारे जाने से बहुत दुखी हूं. भगवान हिंसा में मारे गये लोगों के परिजनों को दुख सहने की शक्ति दे.’ गृह मंत्री ने राज्य सरकार से इस घटना के संबंध में जल्द से जल्द तथ्यात्मक रपट उपलब्ध कराने को भी कहा है.
पुलिस ने बताया कि इलाके से मध्य प्रदेश में पंजीकृत कुछ वाहन भी बरामदहुए हैं और इस हिंसा के पीछे नक्सली संलिप्तता के कोण से भी जांच की जा रही है. महानिदेशक ने कहा, ‘‘इलाके से 15 कारें और छह मोटरसाइकिलें बरामद हुई हैं.’ उन्होंने बताया, ‘‘स्थानीय लोग भी अतिक्रमणकारियों से नाराज थे और उन्होंने पुलिस की बहुत मदद की.’ उन्होंने बताया कि जब उपद्रवी पीछे हटे, तो जनता ने उनमें से ज्यादातर लोगों की पिटायी की.
मथुरा के जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि पुलिसकर्मियों के तीन दलों द्वारा मौके पर पहुंचने और स्थिति संभालने के बाद उपद्रवियों ने केवल हथगोले ही नहीं फेंके, बल्कि उन्होंने स्वाचालित हथियारों से गोलीबारी भी की. उन्होंने बताया कि हथगोले फेंकने और रसोई गैस सिलेंडरों में विस्फोटों से पूरा इलाका धुंए से भर गया और अनेक झोपड़ियों में आग लग लगी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर कार्रवाई करतेहुए अधिकारियों को भूमि का कब्जा छुड़ाये जाने के निर्देश दिये हैं. इसके बाद मथुरा जिला प्रशासन ने अप्रैल में प्रदर्शनकारियों को भूमि खाली करने का नोटिस भी जारी कर चुका है. उल्लेखनीय है कि यह भूमि उत्तर प्रदेश सरकार के बागवानी विभाग की है, जबकि सरकार इस भूमि को लोगों से खाली कराने के कई विफल प्रयास कर चुकी है.