मथुरा : जवाहर बाग हिंसा के सरगना रामवृक्ष यादव की मौत की रिपोर्ट को स्थानीय कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने उसकी मौत पर संदेह जताते हुए कहा है कि शव की शिनाख्त परिवारीजन या बेहद करीबी से नहीं करवाया गया. ऐसे में कैसे मान लिया जाए कि रामवृक्ष की मौत हो चुकी है.
रामवृक्ष यादव की मौत के पुलिस के दावे को खारिज करते हुए एक स्थानीय अदालत ने उसका डीएनए परीक्षण कराने और किसी निकटतम रिश्तेदार से उसका मिलान कराने का आदेश दिया है. वर्ष 2011 के एक मामले की सुनवायी करते हुए गुरुवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (नवम) विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने पुलिस की तरफ से पेश की गई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तथा शिनाख्त कार्यवाही को यह कहकर नकार दिया कि केवल इन तथ्यों के आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि उक्त घटना में मारा गया व्यक्ति रामवृक्ष ही था.
अदालत ने कहा, खासकर तब, जबकि उसकी पहचान करने वाला व्यक्ति उसका कोई नजदीकी रिश्तेदार न होकर, एक आम साथी था. अदालत ने पुलिस को रामवृक्ष बताए जा रहे व्यक्ति के डीएनए परीक्षण हेतु सुरक्षित रखे गए अवशेषों की नजदीकी रिश्तेदार के डीएनए सैम्पल से फॉरेंसिक लैब के माध्यम से मिलान कराने के आदेश दिए हैं तथा मुख्य चिकित्साधिकारी को इस मामले में पुलिस की सहायता करने का भी निर्देश दिया है.
मामले के वादी गुजरात के मेहसाणा निवासी रवि सुरेश चंद्र दवे ने बताया कि यह मामला 10 मार्च 2011 में उस समय का है जब रामवृक्ष यादव दिल्ली-आगरा राजमार्ग पर बाबा जयगुरुदेव के नाम से संचालित पेट्रोल पंप पर डीजल डलवाने आया था और एक रुपए में 60 लीटर डीजल डलवाने की मांग पर अड गया था. उस समय उसने व उसके कुछ अन्य साथियों ने मिलकर जानलेवा हमला किया था और जलाकर मार डालने का प्रयास किया था। उस घटना में उसका (वादी का) एक हाथ जल गया था. इस मामले में रामवृक्ष कभी भी अदालत में पेश न हुआ तो उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो गए.