UP: समाजवादी पार्टी में चलता रहता है रूठने मनाने का दौर
लखनऊ : अखिलेश सरकार कैबिनेट का आज सातवां विस्तार हुआ जिसमें पार्टी के दो दिग्गज नजर नहीं आए. पहले शिवपाल यादव और दूसरे आजम खां. आज कैबिनेट का विस्तार करते हुए दो मंत्रियों ने कैबिनेट तथा दो ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इस कार्यक्रम को कुछ ही मिनटों में समाप्त कर दिया गया. […]
लखनऊ : अखिलेश सरकार कैबिनेट का आज सातवां विस्तार हुआ जिसमें पार्टी के दो दिग्गज नजर नहीं आए. पहले शिवपाल यादव और दूसरे आजम खां. आज कैबिनेट का विस्तार करते हुए दो मंत्रियों ने कैबिनेट तथा दो ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इस कार्यक्रम को कुछ ही मिनटों में समाप्त कर दिया गया. कैबिनेट मंत्री के रूप में आज बर्खास्त रहे बलराम यादव के साथ नारद राय ने शपथ ली जबकि लखनऊ के शारदा प्रताप शुक्ला तथा रविदास मेहरोत्रा राज्यमंत्री बनेंगे. इस दोनों के अलावा बलिया के जियाउद्दीन रिजवी को पहली बार मंत्री बनाया जाएगा.
समाजवादी पार्टी में कभी मुलायम नाराज तो कभी आजम, कभी रामगोपाल तो अब खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नाराज नजर आते हैं. यादव परिवार में एक बार फिर अंतरकलह हाल के दिनों में देखने को मिला जब शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच कौमी एकता दल को लेकर ठन गई. आइए नजर डालते हैं सपा के कुछ नाराजगी भरे लम्हों पर….
आजम vs अमर
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सपा नेता आजम खान के बीच की खटास किसी से छिपी हुई नहीं है. एक बार फिर दोनों को लेकर सपा में ठन गई जब अमर सिंह को राज्य सभा के लिए पार्टी ने उम्मीदवार बनाने का फैसले लिया. इस खबर के बाद आजम खान ने कहा था कि यह फैसला दुर्भाग्यजनक है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि नेताजी मालिक हैं और मालिक के फैसले को चुनौती देना मेरे अधिकार क्षेत्र के बाहर है. जितना मुझे लगता है यह पूरी घटना दुर्भाग्यपूर्ण है.
कौमी एकता दल को लेकर हलचल
कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय को रद्द किए जाने से नाराज पार्टी के कद्दावर नेता और सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव आज सातवें कैबिनेट विस्तार में नहीं पहुंचे. नाराज यादव कल ही इटावा चले गए थे और उनके शाम तक लखनऊ आने की उम्मीद थी लेकिन वह नहीं पहुंचे. पार्टी सूत्रों ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सिंचाई मंत्री को आगे कर कौमी एकता दल का सपा में विलय कराया था लेकिन 2 दिन बाद ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के तेवर देख विलय को ससंदीय बोर्ड के जरिए गत 25 जून को रद्द कर दिया गया. इससे आहत शिवपाल यादव अपने पैतृक नगर इटावा चले गए.
बिहार में भी शिवपाल की फजीहत
आपको बता दें कि लखनऊ में फजीहत के पहले भी इसी तरह बिहार विधानसभा के चुनाव के दौरान शिवपाल सिंह यादव को पटना भेजकर महागठबंधन की रैली में शामिल करवाया गया था जिसके बाद ही महागठबंधन से सपा का नाता टूट गया था. इसके बाद भी शिवपाल सिंह यादव के खफा होने की खबरें आईं थीं.
जब अखिलेश हुए नाराज
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने चार करीबी सिपहसालारों को पार्टी से बाहर का रास्ता क्या दिखा दिया था अखिलेश की भौंहे चढ़ गईं थीं. इस निर्णय के बाद नाराज सीएम अखिलेश यादव इटावा में हुए सपा के महत्वाकांक्षी सैफई महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में ही शामिल नहीं हुए थे जिसके बाद उनकी जगह उनके पिता मुलायम सिंह यादव को समारोह का उद्घाटन करना पड़ा था. असल में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह और पंचायत चुनाव प्रभारी शिवपाल यादव ने आनंद भदौरिया, सुनील सिंह साजन, सुबोध यादव को पंचायत चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों की रिपोर्ट पर पार्टी से ही बर्खास्त कर दिया था. ये तीनों अखिलेश यादव की कोर टीम में के सदस्य थे.
मथुरा हिंसा के बाद फजीहत
मथुरा में भड़की हिंसा मामले में उत्तरप्रदेश सरकार के ताकतवर मंत्री शिवपाल सिंह यादव पर अंगुली उठी थी जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने उनका इस्तीफा मांगा था. शिवपाल पर मथुरा कांड के मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव को संरक्षण देने का आरोप था हालांकि शिवपाल यादव ने इन आरापों का खंडन किया था. समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा हैं जिनपर आरोप था कि उनकी शह पर ही रामवृद्ध यादव ने मथुरा में पांच हजार करोड़ की भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा था.