यूपी : मौर्य का लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन, मंच पर बसपा के बागी व निष्कासित
लखनऊ :उत्तरप्रदेश में बसपा से बगावत करके नयी सियासीपारीकी तलाशमेंजुटे स्वामी प्रसाद मौर्य आज लखनऊ में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं.इसशक्ति प्रदर्शन में मौर्य के साथ पिछड़ा वर्ग के कई नेता भी मौजूद हैं. इनमें से अधिकांश वह हैं जिनको बहुजन समाज पार्टी से टिकट नहीं मिला या उनको पार्टी से बाहर किया […]
लखनऊ :उत्तरप्रदेश में बसपा से बगावत करके नयी सियासीपारीकी तलाशमेंजुटे स्वामी प्रसाद मौर्य आज लखनऊ में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं.इसशक्ति प्रदर्शन में मौर्य के साथ पिछड़ा वर्ग के कई नेता भी मौजूद हैं. इनमें से अधिकांश वह हैं जिनको बहुजन समाज पार्टी से टिकट नहीं मिला या उनको पार्टी से बाहर किया गया है.
माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपना एक नया दल बनाकर चुनाव में किसी बड़े दल के साथ गठबंधन कर सकते हैं. इस वजह से सभी सियासी दलों की निगाहें इस बैठक पर लगी है. वहीं, सूत्रों का कहना है कि मौर्य ने पूरी ताकत शुक्रवार का सम्मेलन सफल बनाने में लगा रखी है. सम्मेलन के दौरान मौर्य की नयी राजनीतिक पारी की दिशा तय होगी.
मालूम हो कि बीते 22 जून को बसपा केराष्ट्रीयमहासचिवएवंनेता विरोधी दल स्वामीप्रसादमौर्य ने पार्टीसुप्रीमो मायावती पर आरोप लगाते हुए खुद को पार्टीसे अलग करने कीघोषणा की थी. बसपा में शीर्ष पदों पर लंबी पारी खेल चुके मौर्य केबारेसंभावनाजतायीजारही है कि वे भाजपा का दामन थाम सकते है. हालांकि मौर्य को अपने साथ जोड़ने के लिए कांग्रेस के एक नेता भी लगातार संपर्क बनाये हुए हैं.
आरके चौधरी ने भी छोड़ी पार्टी
हफ्तेभर के अंदरबसपासुप्रीमो मायावती को दूसरा बड़ा झटका लगा है.बसपा में पासियों के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले आरके चौधरी ने मायावती पर टिकट बेचने का इल्जाम लगाकर इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि बीएसपी अब मायावती की रियल एस्टेट कंपनी बन गयी है. चौधरी ने प्रेसवार्ता में कहा कि इस समय बसपा टिकट बेचने की मंडी बन गयी है. पार्टी में जमीनी नेताओं को, मिशिनरी कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं मिल रही है. मायावती के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन के लिए चौधरी 11 जुलाई को कार्यकर्ता सम्मेलन करेंगे.
गौर हो कि आरके चौधरी 1981 में कांशी राम की डीएस-4 से जुड़े थे. साल 1993 में सपा-बसपा की मिली-जुली सरकार में कैबिनेट मंत्री बनेऔर 21 जुलाई 2001 को उन्होंने बसपा छोड़ दी थी. 12 साल तक वह डीएस-4 की तर्ज पर बीएस-4 नाम का संगठन चलाते रहे. उन्होंने राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी नाम से राजनीतिक दल भी बनाया, उससे चुनाव लड़े और विधायक भी बने. अप्रैल 2013 में उनकी बसपा में घर वापसी हुई. वह लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन मायावती ने नहीं दिया.