मथुरा : उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में धरना-प्रदर्शन के नाम पर जिला मुख्यालय पर स्थित एक सरकारी बाग पर कब्जा जमाये बैठे हजारों अतिक्रमणकारियों को बेदखल किये जाने की कार्यवाही के दौरान हुई मुठभेड़ के समय भीड़ से घिर गये पुलिस अधीक्षक को छोड़ कर भाग जाने वाले निजी सुरक्षाकर्मी तथा चार सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है.
इस कार्रवाई में एसपी (सिटी) मुकुल द्विवेदी तथा फरह के थानाध्यक्ष अवैध कब्जेदारों के हिंसक हमले में शहीद हो गये थे तथा 27 अन्य लोगों की मृत्यु हो गयी थी. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने बताया कि घटना के बाद तमाम बिंदुओं पर चल रही विभागीय जांच में एसपी (सिटी) मुकुल द्विवेदी के साथ चल रहे सुरक्षा दल के पांचों सदस्यों को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि अनंतिम जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
फिलहाल, एसपी (सिटी) की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार उनके गनर मुख्य आरक्षी भूपेंद्र सिंह, उनके सहयोगी सिपाहियों थाना मगोर्रा के कौशलेंद्र, रिफाइनरी के राम सिंह, फरह के लालता प्रसाद एवं हाईवे के सिपाही प्रदीप कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. उन्होंने बताया कि जांच के अनुसार, यह महसूस किया गया है कि यदि सिपाहियों ने भागने के बजाय पुलिस अधीक्षक के साथ हमलावरों का मुकाबला किया होता तो अधिकारी की जान नहीं जाती और घटना को भी इतना विकराल रुप लेने से रोका जा सकता था.
यदि वह लोग कुछ मिनटों के लिए भी हमलावरों का सामना करने का साहस जुटा लेते तो उन्हें पीछे से तो पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों की मदद मिलने ही वाली थी. तब उनके भी प्राण संकट में न पड़ते और न ही एसपी (सिटी) मुकुल द्विवेदी हमलावरों के बीच अकेले घिरकर इस तरह मारे जाते.