जवाहर बाग कांड : तीसरी दफा शिविर कार्यालय पहुंचा आयोग
मथुरा : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जवाहर बाग में पिछले महीने पुलिस व अवैध अतिक्रमणकारियों के बीच हुए हिंसक संघर्ष की घटना की जांच कर रहे एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष मथुरा स्थित शिविर कार्यालय पर तीसरी बार पहुंचे. आयोग के अध्यक्ष एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मिर्जा इम्तियाज मुर्तजा ने […]
मथुरा : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जवाहर बाग में पिछले महीने पुलिस व अवैध अतिक्रमणकारियों के बीच हुए हिंसक संघर्ष की घटना की जांच कर रहे एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष मथुरा स्थित शिविर कार्यालय पर तीसरी बार पहुंचे. आयोग के अध्यक्ष एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मिर्जा इम्तियाज मुर्तजा ने संवाददाताओ को बताया घटना के संबंध में जानकारी देने के लिए अब तक कुल 92 शपथ पत्र विभिन्न स्तर से मिल चुके हैं, जिनमें एक व्यक्ति द्वारा दो शपथ पत्र दिये गये हैं.
जानकारी जुटाने के लिये 21 जुलाई तक था समय
उन्होंने बताया कि जवाहर बाग घटना से जुड़े किसी भी तथ्य की जानकारी जुटाने के लिए जनसाधारण को 21 जुलाई तक का समय दिया था. लेकिन यदि मंगलवार तक कोई व्यक्ति भी अपनी बात रखना चाहता है तो उसे एक और मौका देकर गवाहियां दर्ज करना प्रारंभ करेंगे. उन्होंने कहा कि जब एक बार गवाहियां शुरू हो जायेंगी, तब एक-दो दिन में अनुमान निकाल कर तय किया जा सकेगा कि पूरे मामले की जांच में कितना समय और लगेगा. उन्होंने बताया कि जांच आयोग को कुल 60 दिनों का समय दिया था. इसलिए उसके दो माह के भीतर 8 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल किया जाना है. लेकिन बयान दर्ज करने तथा उनके परीक्षण कर जांच परिणाम तय करने में और भी अतिरिक्त समय लगेगा इसलिए आयोग से कुछ समय दिये जाने की मांग करनी पड़ेगी.
29 लोग मारे गये थे जवाहर बाग कांड में
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन एवं पुलिस अधिकारियों से भी शपथ पत्र पुन: लिए जायेंगे. क्योंकि जिन अधिकतर अधिकारियों से जवाब मांगा गया था. उन्होंने स्वयं जवाब न देकर अपने अधीनस्थों से शपथ पत्र दाखिल कराएं हैं, जो आयोग द्वारा मान्य नहीं है. दूसरे, सरकारी पक्ष द्वारा प्रस्तुत रिकॉर्ड में इस प्रकार की कुछ खामियां हैं जिन्हें दूर करने के लिए उन्हें 4 से 5 दिन का समय दिया जायेगा और फिर गवाही एवं परीक्षण का कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा. गत दो जून को घटी इस घटना में 2 पुलिस अफसरों की शहादत के साथ ही कुल 29 लोग मारे गये थे. जिनमें अधिकांशत: बेहद गरीब तबके से आये लोग थे. जिन्हें इस घटना के मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव के गुर्गों द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रलोभन अथवा झांसा देकर लाया गया था.