लखनऊ / बहराइच : उत्तर प्रदेश के बहराइच स्थित जिला अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों की कथित लापरवाही से एक बच्चे की मौत के मामले में रिश्वत लेने की आरोपी स्टाफ नर्स तथा सफाईकर्मी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के साथ अस्पताल के कुल आठ कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. मामले की जांच कर रहे अपर जिलाधिकारी विद्या शंकर सिंह ने आज बताया कि प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि स्टाफ नर्स आशा सिंह और सफाईकर्मी पवन ने पीड़ित से अस्पताल में बेड दिलाने तथा भर्ती करने के नाम पर रिश्वत ली थी.
जांच में आरोप सही
सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी अभय ने कल देर रात जिला अस्पताल का दौरा किया. आज सुबह लखनऊ से प्रदेश के स्वास्थ्य निदेशक तथा देवीपाटन मंडल के स्वास्थ्य अपर निदेशक ने विभागीय अधिकारियों के साथ जिला अस्पताल पहुंचकर जांच शुरू की. पुलिस अधीक्षक सालिकराम वर्मा ने बताया कि इस मामले में स्टाफ नर्स आशा सिंह तथा संविदा सफाईकर्मी पवन के विरुद्ध पुलिस ने मामला दर्ज किया है. देर रात मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
रिश्वत नहीं देने पर गयी थी बच्चे की जान
सिंह ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने आरोपी स्टाफ नर्स आशा सिंह तथा अस्पताल कर्मी किशवर जहां के खिलाफ निलंबन की संस्तुति की है. इसके अलावा संविदा पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी सुभाषिनी वर्मा, संगीता, सनत कुमार सिंह, वार्ड ब्वाय मुकीद अहमद, सफाईकर्मी शत्रोहन तथा वीरेंद्र की संविदा निरस्त कर सभी को नौकरी से हटा दिया गया है. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी ने उनके नेतृत्व में एक जांच कमेटी गठित की है साथ ही अस्पताल प्रशासन द्वारा तीन डाक्टरों का एक पैनल भी जांच कर रहा है. मालूम हो कि बहराइच के जिला अस्पताल में रिश्वत नहीं मिलने पर स्टाफ कर्मियों द्वारा समय पर कथित तौर पर उपचार मुहैया नहीं किये जाने के चलते गत नौ अगस्त को 10 माह के बच्चे किशना की मौत हो गई थी.
मुख्यमंत्री ने लिया था संज्ञान
किशना के पिता शिवदत्त ने आरोप लगाया था कि उसके बच्चे की मौत इसलिए हुई क्योंकि अस्पताल के स्टाफ ने उसे एक जरूरी इंजेक्शन लगाने में देरी कर दी. उसने आरोप लगाया कि बच्चे को उपचार मुहैया कराने के लिए रिश्वत मांगने में अस्पताल कर्मचारियों ने समय गंवा दिया जिसके कारण उसकी बहराइच जिला अस्पताल में नौ अगस्त की सुबह मौत हो गयी थी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बच्चे के इलाज में बरती गयी लापरवाही पर गंभीर रुख अपनाते हुए जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ओ. पी. पाण्डेय को हटाने के निर्देश दिये थे.