पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले बचाने के लिये कानून संशोधन पर मुहर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी बंगले खाली कराने के उच्चतम न्यायालय के आदेश से बचने का रास्ता निकालते हुए इससे संबंधित कानून में महत्वपूर्ण बदलाव करने के फैसले पर मंत्रिपरिषद की मुहर लगवा ली है. उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज यहां बताया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2016 6:19 PM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी बंगले खाली कराने के उच्चतम न्यायालय के आदेश से बचने का रास्ता निकालते हुए इससे संबंधित कानून में महत्वपूर्ण बदलाव करने के फैसले पर मंत्रिपरिषद की मुहर लगवा ली है. उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज यहां बताया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित बंगलों पर आजीवन कब्जे का रास्ता खोलने के लिये कल मंत्रिपरिषद ने वर्ष 1981 में बने ‘उत्तर प्रदेश के मंत्री :वेतन, भत्ते एवं विविध प्रावधान: अधिनियम’ में संशोधन को मंजूरी दे दी. इसे आगामी 22 अगस्त को शुरू हो रहे राज्य विधानमंडल सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जायेगा.

सरकार सुप्रीम कोर्ट को करायेगी अवगत

उन्होंने बताया कि संशोधन विधेयक के मसविदे में पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य संपत्ति विभाग की नियमावली की बुनियाद पर समय-समय पर तय दर पर बंगले आजीवन आवंटित करने संबंधी प्रावधान किया गया है. सरकार इस कानून संशोधन के बारे में उच्चतम न्यायालय को भी अवगत करायेगी. मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने लोक प्रहरी नामक संस्था की याचिका पर गत एक अगस्त को अपने एक फैसले में कहा था कि राज्य ने 1997 में बंगलों के आवंटन के बारे में जो नियम लागू किये वह इस संबंध में 1981 के कानून के अनुरूप नहीं हैं.

15 दिनों के अंदर सरकारी आवास छोड़ने का था प्रावधान

1981 के कानून के तहत मुख्यमंत्रियों को पद छोड़ने के 15 दिन के भीतर अपना सरकारी आवास छोड़ना होता है, जबकि 1997 में बनाये गये कानून के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री आजीवन यह बंगले अपने पास रख सकते हैं. सरकार ने राज्य सरकार की इस व्यवस्था को खारिज कर दिया था और सरकार को दो महीने के अंदर ऐसे बंगले खाली करने के आदेश दिये थे. न्यायालय ने कहा था कि बंगलों पर आजीवन कब्जे के मामले में पूर्व मुख्यमंत्रियों को पूर्व राष्ट्रपतियों और पूर्व उपराष्ट्रपतियों के बराबर नहीं माना जा सकता. न्यायालय के इस आदेश से पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह, मायावती, राजनाथ सिंह तथा रामनरेश यादव के बंगले छिनने का खतरा पैदा हो गया था.

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