कानपुर : कानपुर की श्रद्धा शुक्ला ‘जी हां’ यह आज एक ऐसा नाम हो गया है जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. ‘जलपरी’ कहलाने वाली श्रद्धा एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए तेज बहाव के बावजूद गंगा की लहरों में ऊतर चुकीं हैं. वह कानपुर से बनारस तक का सफर तय कर अपनी तैराकी का लोहा मनवाना चाहतीं हैं ताकि वह अगले ओलंपिक में अपनी जगह सुनिश्चित करवा सके.
उत्तर प्रदेश के कानपुर में उफनाती गंगा में 570 किलामीटर की तैराकी के लिए श्रद्धा ने पानी में डुबकी लगा दी है. खबर है कि मैस्कर घाट से बनारस तक की दूरी वह 70 घंटे में तय करेंगी जिसके लिए उनका ठहराव छह स्थानों पर होगा. श्रद्धा चार साल की उम्र से गंगा में तैराकी कर रही है. ऐसा करके उसने कई कीर्तिमान बनाए हैं.
श्रद्धा को आजतक कोई सरकारी मदद नहीं दी गई है. श्रद्धा हर साल अपनी क्षमता के आकलन और सरकारी व्यवस्था का ध्यान अपनी ओर खिंचने के लिए गंगा की उफनती लहरों में छलांग लगाती हैं. श्रद्धा के पिता ललित शुक्ला और बाबा गोताखोर रह चुके हैं, जो श्रद्धा का हौसला बढाते हैं. श्रद्धा के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतते देखने उनके परिवार का सपना है.
श्रद्धा कक्षा नौ में पढ़तीं है और वह मात्र 13 साल की हैं. वह कई सालों से गंगा की लहरों को पछाड़ते नजर आ रहीं हैं. जब वह चार साल की थीं तभी से गंगा में छलांग लगा रहीं हैं.