कालाहांडी में पत्नी के शव को कंधे पर लेकर एक आदिवासी व्यक्ति के कई किलोमीटर चलने की तसवीर अभी धुंधली भी नहीं हुई थी कि कानपुर में इनसानियत को शर्मसार करने का नया मामला सामने आया है. अस्पताल में इलाज के अभाव में एक बच्चे ने पिता के कंधे पर दम तोड़ दिया.
कानपुर : बुखार से तड़प रहे बेटे को कंधे पर लिए एक पिता दर-दर भटकता रहा. जब अस्पताल पहुंचा, तो डाॅक्टर भर्ती करने की बजाय उसे एक स्थान से दूसरे स्थान दौड़ाते रहे. स्ट्रेचर तक मुहैया नहीं कराया. आखिरकार अव्यवस्था और डाॅक्टरों की लापरवाही से 12 साल के मासूम अंश ने अपने पिता के कंधों पर ही दम तोड़ दिया. कानपुर के लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलेट) में घटी इस घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है.
फजलगंज के रहनेवाले 12 वर्षीय अंश को पिछले गुरुवार को तेज बुखार आया. पिता सुनील ने उसे दवा देकर आराम करने को कहा. दूसरे दिन जब बुखार बढ़ा, तो सुनील उसे लेकर हैलेट अस्पताल कानपुर पहुंचे. वहां उन्होंने इमरजेंसी वार्ड में मौजूद डाॅक्टरों से बेटे के इलाज के लिए मिन्नतें कीं. डाक्टरों ने यह कहते हुए भर्ती करने से इनकार कर दिया कि यहां बच्चों का इलाज नहीं होता. अंश को चिल्ड्रेन वॉर्ड ले जाने को कहा.
जब पिता ने स्ट्रेचर की मांग कि तो किसी ने ध्यान नहीं दिया. बेटे की जान बचाने के लिए सुनील उसे कंधों पर लेकर पांच सौ मीटर दूर चिल्ड्रेन वॉर्ड के लिए निकल पड़े. वहां पहुंचने पर भी इलाज की जगह, उसे एक से दूसरी जगह डॉक्टर दौड़ाते रहे. आखिरकार अंश बुखार के ताप को सहन नहीं कर सका और पिता के कंधों पर ही दम तोड़ दिया.
बाल आयोग ने दि ये जांच के आदेश
उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से 12 साल के एक लड़के की मृत्यु के मामले की जांच के आदेश दिये हैं. आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह ने बताया कि हमने कानपुर के जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है. उनका जवाब भी आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति गठित की गयी है.
नहीं मिला एंबुलेंस. गर्भवती बेटी को साइकिल से ले जाना पड़ा अस्पताल
छतरपुर. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एंबुलेंस न मिलने पर एक पिता को अपनी गर्भवती बेटी को प्रसव पीड़ा में साइकिल पर अस्पताल ले जाना पड़ा . हैरानी की बात यह है कि जब बेटी ने बच्चे को जन्म दे दिया, तो उसे साइकिल पर ही वापस घर लाना पड़ा.
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, छतरपुर जिले के शाहपुर गांव निवासी नन्हे भाई ने 22 वर्षीय बेटी को प्रसव पीड़ा होने पर सरकारी एंबुलेंस को कॉल किया. कई बार कॉल करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला, तो मजबूरन बेटी को साइकिल पर बैठा कर ही छह किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाना पड़ा. बेटी ने एक शिशु को जन्म दिया. अस्पताल प्रशासन उन्हें एंबुलेंस मुहैया नहीं करा सका, तो नन्हे लाल को बेटी और नवजात को साइकिल पर बैठा कर घर वापस लाना पड़ा. राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिये हैं.