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विधानसभा चुनाव में मायावती खेलेंगी दलित+मुसलमान कार्ड!

लखनऊ : बसपा सुप्रीमो मायावती आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अगली रैली पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में करने वालीं हैं. यह रैली 11 सितंबर को आयोजित की जायेगी. इससे पहले मायावती ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के तीन प्रमुख जिलों में रैली आयोजित की, जिनमें आजमगढ़, आगरा और इलाहाबाद शामिल है. लेकिन चौंकाने वाली बात […]

लखनऊ : बसपा सुप्रीमो मायावती आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अगली रैली पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में करने वालीं हैं. यह रैली 11 सितंबर को आयोजित की जायेगी. इससे पहले मायावती ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के तीन प्रमुख जिलों में रैली आयोजित की, जिनमें आजमगढ़, आगरा और इलाहाबाद शामिल है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ वाराणसी में रैली आयोजित नहीं की. जबकि अन्य पार्टियों ने मोदी को उनके गढ़ में चुनौती देने की रणनीति अपनाई. सोनिया गांधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वाराणसी से ही अपने अभियान की शुरुआत की थी. मायावती की इस रणनीति से थोड़ा आश्चर्य जरूर होता है क्योंकि मायावती अपनी रैलियों में नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधती हैं. राजनीति के जानकारों की मानें तो मायावती ने इस बार अपनी रणनीति बदली है.

मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग को छोड़ ‘डीएम’ फार्मूला अपनाया
दलितों और ब्राह्मणों को साथ लाकर कभी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी मायावती ने इस चुनाव में अपनी रणनीति बदली है. पार्टी छोड़कर गये ब्राह्मण नेताओं को कहना है कि मायावती ने उनका टिकट काटकर मुसलमानों को दे दिया है. इसका कारण यह है कि मायावती इस बार दलितों और मुसलमानों को एक मंच पर लाना चाह रही हैं. मायावती की इस रणनीति से नाराज होकर कई ब्राह्मण नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं, जिनमें बृजेश पाठक, बाला प्रसाद अवस्थी और राजेश त्रिपाठी जैसे नेता शामिल हैं. वहीं बसपा में शामिल होने वाले प्रमुख मुसलमान नेता हैं दिलनवाज खान, नवाब काजिम अली, डॉ मो मुस्लिम और नवाजिश आलम. इनमें से तीन कांग्रेस और एक नवाजिश आलम सपा छोड़कर आये हैं. गौरतलब है कि प्रदेश में 20.5 प्रतिशत दलित और 18.26 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं.
स्वामी के गैप को फील करने के लिए जाटव बिरादरी को प्रमोशन
स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती पर दलितों की उपेक्षा और टिकटों की बिक्री का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी और भाजपा के साथ आ गये. स्वामी के बसपा छोड़ने से मायावती को बड़ा नुकसान हुआ है. उनके जाने से मायावती को अति पिछड़ों के वोट का नुकसान होगा. इससे उबरने के लिए मायावती ने दलितों की जाटव बिरादरी को प्रमोट करने का निर्णय लिया है और कई प्रमुख कार्यभार उन्हें सौंप रही हैं. गौरतलब है कि जाटव जाति की संख्या दलितों में सबसे ज्यादा है.
मायावती मुस्लिम और दलित बहुल क्षेत्रों में कर रही हैं रैली
मायावती ने अपने पहले चरण के चुनावी अभियान में उन शहरों का चयन किया है जहां मुस्लिम और दलित आबादी ज्यादा है. आमजगढ़, इलाहाबाद, आगरा और अब सहारनपुर. सहारनपुर उत्तर प्रदेश के उन शहरों में शामिल है, जहां मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है. मायावती मुसलमानों को यह भरोसा दिलान चाह रही हैं कि सपा का विकल्प वहीं हैं जहां वे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकते हैं.

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