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बुलंदशहर गैंगरेप की जांच करे सीबीआई : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अपने पिछले आदेश में संशोधन करने के बाद आज बुलंदशहर गैंगरेप मामले में सीबीआई जांच पर से रोक हटा दी और कानून के अनुसार एजेंसी को बढ़ने को कहा. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही पर यह कहते हुए रोक लगा […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अपने पिछले आदेश में संशोधन करने के बाद आज बुलंदशहर गैंगरेप मामले में सीबीआई जांच पर से रोक हटा दी और कानून के अनुसार एजेंसी को बढ़ने को कहा.

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि शीर्ष अदालत अब समूचे विवाद से निपट रही है.

उसने मामले में पक्षकार के तौर पर शामिल किए जाने की सीबीआई की याचिका मंजूर कर ली. यह याचिका बलात्कार पीडिता मां-बेटी के पति और पिता द्वारा दायर की गयी है.

पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत बाद में मामले का मुकदमा उत्तर प्रदेश के बाहर स्थानांतरित करने और मामले से नहीं जुडे लोक प्राधिकारी का बयान उचित है अथवा नहीं इसपर विधिवेत्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस नरीमन की राय समेत अन्य पहलुओं पर बाद में विचार करेगी.

पीठ ने कहा, ‘‘सीबीआई द्वारा की जा रही जांच पर याचिकाकर्ता को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उसे राज्य के बाहर मामले को स्थानांतरित किए जाने और मामले से नहीं जुडे लोक प्राधिकारी का बयान उचित है अथवा नहीं, इसपर शिकायतें हैं.” पीठ ने कहा, ‘‘आदेश में संशोधन के लिए प्रार्थना मंजूर की जाती है और सीबीआई को निर्देश दिया जाता है कि वह जांच जारी रखे.” पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जो अन्य मुद्दे उठाए हैं उसपर सुनवाई की अगली तारीख पर विचार किया जाएगा.

इस सप्ताह की शुरुआत में सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर सनसनीखेज बुलंदशहर गैंगरेप मामले में चल रही जांच पर रोक लगाने के आदेश में संशोधन की मांग की थी. सीबीआई ने कहा था कि इससे सामग्री गायब हो सकती है. इसके अलावा छह आरोपी वैधानिक जमानत मांगने में सक्षम हो सकते हैं.

शीर्ष अदालत ने गत 29 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खान के विवादास्पद बयान का संज्ञान लिया था जिसमें कहा गया था कि गैंगरेप मामला एक ‘राजनैतिक साजिश’ है जबकि मामले में सीबीआई जांच पर रोक लगा दी गई। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि क्या राज्य को उच्च पदों पर बैठे लोगों को गंभीर अपराधों पर इस तरह की टिप्पणियां करने से रोकना चाहिए.

प्राथमिकी शुरुआत में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 30 जुलाई को विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज की थी. सीबीआई ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के मद्देनजर 18 अगस्त को अपराध के लिए फिर से मामला दर्ज किया था.

दिल को दहला देने वाली यह घटना 29 जुलाई की रात को हुई थी जब हाईवे लुटेरों के एक समूह ने नोएडा में रहने वाले एक परिवार की कार रोकी और बंदूक का भय दिखाकर कार से बाहर निकालकर महिला और उसकी बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया था.

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