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अखिलेश यादव ने अपनी कैबिनेट के दो मंत्रियों को किया बर्खास्त, कुछ और मंत्रियों पर भी खतरा

लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज खनन मंत्री और मुलायम सिंह यादव के करीबी गायत्री प्रजापति और उद्यान मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया. दोनों कैबिनेट मंत्री थे. सूत्रों का कहना है कि अभी अखिलेश और मंत्रियों को भी बर्खास्त कर सकते हैं. प्रजापति पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं. अखिलेश यादव के […]

लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज खनन मंत्री और मुलायम सिंह यादव के करीबी गायत्री प्रजापति और उद्यान मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया. दोनों कैबिनेट मंत्री थे. सूत्रों का कहना है कि अभी अखिलेश और मंत्रियों को भी बर्खास्त कर सकते हैं. प्रजापति पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं. अखिलेश यादव के इस कदम को सरकार की छवि बेहतर बनाने का एक प्रयास माना जा रहा है.

पिछले दिनों भाजपा ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से यह मांग की थी कि वह खनन गतिविधियों को पूर्ण संरक्षण देने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को तत्काल बर्खास्त करे.

गौरतलब है कि गायत्री प्रजापति पर अवैध खनन में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगता रहा है. पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश को वापस लेने की अर्जी को खारिज कर दिया था. अब चूंकि अखिलेश यादव ने गायत्री प्रजापति को बर्खास्त कर दिया है, इसलिए वे सीबीआई जांच के घेरे में आ गये हैं.

सूत्रों का कहना है कि अखिलेश उन्हें पहले ही हटाना चाहते थे, लेकिन मुलायम के साथ नजदीकियों के कारण उन्हें हटाया नहीं जा सका था. लेकिन अब अखिलेश यादव चुनाव के वक्त पार्टी की छवि पर दाग नहीं लगाना चाहते हैं इसलिए उन्होंने आज यह कदम उठाया.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश में जगह-जगह बड़े पैमाने पर जारी अवैध खनन को गंभीरता से लेते हुए गत 28 जुलाई को प्रदेश में हुए अवैध खनन और इसमें शामिल सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच सीबीआई से कराकर छह महीने के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये थे.

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के इस फैसले को वापस लेने के लिये अर्जी दी थी लेकिन न्यायालय ने गत नौ सितंबर को उसे खारिज कर दिया था.

भाजपा के प्रांतीय महासचिव विजय बहादुर पाठक ने खनन मंत्री की बर्खास्तगी को महज दिखावा करार देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के हंटर से डरे मुख्यमंत्री ने मजबूरन यह कदम उठाया है.

पाठक ने कहा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पिछले साढ़े चार साल तक प्रजापति के भ्रष्टाचार के मूकदर्शक रहे. उच्च न्यायालय ने जब प्रजापति द्वारा प्रोत्साहित किये गये अवैध खनन की सीबीआई जांच के आदेश को वापस लेने की सरकार की अर्जी खारिज कर दी, तब मुख्यमंत्री के पास प्रजापति को बर्खास्त करने के सिवा कोई चारा नहीं था.

कांग्रेस विधायक रीता बहुगुणा जोशी ने इस बारे में कहा कि प्रदेश में हर तरफ अवैध खनन हो रहा है और यह जगजाहिर है कि प्रजापति ही इसे बढावा दे रहे थे. जब उच्च न्यायालय ने इस पर गंभीर रख अख्तियार कर लिया, तो मुख्यमंत्री ने मजबूरन प्रजापति को बर्खास्त कर दिया.

उन्होंने कहा कि अखिलेश का प्रजापति को बर्खास्त करना महज एक छलावा है. मालूम हो कि वर्ष 2012 में पहली बार अमेठी से विधायक बने प्रजापति ने कामयाबी की सीढियों पर काफी तेजी से कदम रखे. उन्हें फरवरी 2013 में सिंचाई राज्यमंत्री बनाया गया था. बाद में उन्हें खनन राज्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था.

जुलाई 2013 में प्रजापति को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया था और जनवरी 2014 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था.

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