लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम परिवार में कटुता बढ़ती ही जा रही है. कल अखिलेश यादव ने पहले शिवपाल के चहेते चीफ सेक्रेटरी दीपक सिंघल को पद से हटाया और फिर रात तक उनसे सपा प्रदेश अध्यक्ष का पद छीन गया. प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद अखिलेश ने शिवपाल यादव से महत्वपूर्ण मंत्रालय पीडब्ल्यूडी और सिंचाई मंत्रालय छीन लिये. अब शिवपाल यादव के पास सिर्फ सामाजिक कल्याण मंत्रालय रह गया है. सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें मिलीं कि अखिलेश के इस फैसले के बाद शिवपाल ने कहा कि अब सरकार के साथ काम करना मुश्किल है.
हालांकि आज सेफैई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शिवपाल ने कहा कि वे वही करेंगे जो नेताजी कहेंगे, जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जायेगी उसे पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि जो विभाग मुझसे वापस लिये गये हैं, उस मुद्दे पर भी मैं नेताजी से बात करूंगा, हालांकि उन्होंने किसी से भी नाराजगी की बात को खारिज किया. उन्होंने कहा कि अब संगठन की जिम्मेदारी मुझपर है. सपा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार मुझे नेताजी ने सौंपा है, मैं अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगा. सबको जिम्मेदारी दी जायेगी. परिवर्तन भी होगा. हम सपा सरकार के चार साल के कार्यों को लेकर जनता के बीच जायेंगे और उम्मीद है कि सत्ता में हमारी वापसी होगी. उनसे जब पत्रकारों ने पूछा कि विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जायेगा तो पहले उन्होंने चुप्पी साधी और फिर पत्रकार को मजाकिया अंदाज में कह दिया कि आपके नेतृत्व में लड़ा जायेगा.
अब आरपार की स्थिति में पहुंच गयी है मुलायम परिवार की लड़ाई
मुलायम परिवार में चाचा-भतीजे की लड़ाई अब निर्णायक दौर में पहुंच गयी है. विगत कुछ महीनों से मुलायम परिवार में अनबन की खबर मीडिया की सुर्खियों में है. लेकिन 15 अगस्त को मुलायम सिंह ने खुद इस झगड़े को सार्वजनिक कर दिया और कहा कि शिवपाल नाराज हैं और इस्तीफे की पेशकश कई बार कर चुके हैं. हालांकि मुलायम ने शिवपाल का साथ लिया और अखिलेश को ही फटकार लगायी. लेकिन इस मुद्दे पर जानकारों का कहना है कि मुलायम ने ऐसा अखिलेश को बचाने के लिए ही किया है, क्योंकि अगर शिवपाल पार्टी छोड़कर चले गये तो नुकसान अखिलेश और सपा को ही होगा. वर्चस्व की इस लड़ाई में कोई झुकने को तैयार नहीं लग रहा है.
कौमी एकता दल के विलय को लेकर छिड़ी रार
अखिलेश और शिवपाल के बीच कौमी एकता दल के विलय को लेकर विवाद शुरु हुआ है. शिवपाल ने मुसलमान वोटर को साथ रखने के लिए कौमी एकता दल के सपा में विलय की सारी तैयारी कर ली थी, लेकिन अंतिम समय में अखिलेश के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका. अखिलेश अपनी छवि के कारण बाहुबलियों से दूर रहना चाहते हैं, जबकि शिवपाल कौमी एकता दल के मुख्तार अंसारी को साथ लाना चाहते हैं. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि अखिलेश के कारण यह विलय अभी तक नहीं हो पाया है, लेकिन नेताजी तैयार हैं और यह विलय होकर रहेगा.
शिवपाल के साथ खड़े दिखते हैं मुलायम
शिवपाल और अखिलेश की लड़ाई में मुलायम सिंह शिवपाल के साथ खड़े दिखते हैं. चाहे मामला कौमी एकता दल के विलय का हो या दीपक सिंघल को पदमुक्त करने का नेताजी ने हमेशा शिवपाल का साथ दिया. जानकार बताते हैं कि नेताजी अच्छी तरह जानते हैं कि शिवपाल के जाने से अखिलेश और सपा को नुकसान होगा, इसलिए वे शिवपाल का साथ देते हैं. हालांकि मुलायम के इस फैसले से अखिलेश खुश नहीं हैं और उन्होंने मुलायम के करीबी गायत्री प्रजापति को कैबिनेट से हटाने में भी गुरेज नहीं किया.
चुनाव पर दिख सकता है इस विवाद का असर
अगर मुलायम परिवार का झगड़ा सुलझा नहीं, तो कहना ना होगा कि चुनाव में यह वोटर्स को प्रभावित करेगा और नुकसान पार्टी को उठाना पड़ेगा. यही कारण है कि शिवपाल और अखिलेश के बीच जारी विवाद को रोकने के लिए मुलायम ने हमेशा पहल की है और आज भी वे इस कोशिश में दोनों के साथ मुलाकात करने वाले हैं.