आखिर क्यों अकेली पड़ती जा रही हैं बहन मायावती?

लखनऊ : कहते हैं बुरे वक्त में अपना साया भी साथ छोड़ देता है, यह कहावत चरितार्थ होती जा रही है बसपा सुप्रीमो मायावती पर. जी हां, कभी मायावती की सैंडिल साफ करते कैमरे में कैद हुए रिटायर्ड डिप्टी एसपी पदम सिंह ने उनका साथ छोड़ दिया है. पदम सिंह का अतीत यह रहा है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2016 2:33 PM

लखनऊ : कहते हैं बुरे वक्त में अपना साया भी साथ छोड़ देता है, यह कहावत चरितार्थ होती जा रही है बसपा सुप्रीमो मायावती पर. जी हां, कभी मायावती की सैंडिल साफ करते कैमरे में कैद हुए रिटायर्ड डिप्टी एसपी पदम सिंह ने उनका साथ छोड़ दिया है. पदम सिंह का अतीत यह रहा है कि वे पिछले 20 वर्षों से मायावती के साथ हरवक्त-हरहाल में खड़े रहे, लेकिन वर्तमान यह है कि वे भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं. पदम सिंह इससे पहले किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं थे, लेकिन उनकी मायावती के प्रति निष्ठा जगजाहिर है. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर क्यों मायावती अकेली पड़ी जा रही हैं? साथ ही सवाल यह भी है कि क्या अगले विधानसभा चुनाव की जंग में परिस्थितियां मायावती के अनुकूल नहीं है?

चुनाव जीतने के लिए कर रही हैं करीबियों की अनदेखी

मायावती पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि वह अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपने करीबियों की अनदेखी कर रही हैं. यहां तक की उन्हें अपमानित भी किया जा रहा है, यही कारण है कि पार्टी के कई दिग्गज नेता जिनमें स्वामी प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक जैसे नेता शामिल हैं, पार्टी छोड़ गये. पार्टी छोड़ते वक्त इन सब ने आरोप लगाया है कि मायावती उनकी उपेक्षा कर रहीं थीं, साथ ही सबने टिकट बिक्री का भी आरोप लगाया है.

पदम सिंह के जाने से जाटव वोट बैंक में लगेगी सेंध

स्वामी के बसपा छोड़ने से मायावती को बड़ा नुकसान हुआ है. उनके जाने से मायावती को अति पिछड़ों के वोट का नुकसान होगा. इससे उबरने के लिए मायावती ने दलितों की जाटव बिरादरी को प्रमोट करने का निर्णय लिया है और कई प्रमुख कार्यभार उन्हें सौंपा, लेकिन अब जबकि पदम सिंह जो खुद जाटव बिरादरी से आते हैं, उनके जाने ने मायावती को वोटों का नुकसान होगा.

दलितों और मुसलमानों को साथ लाने के फैसले पर उठे सवाल

इस बार के चुनाव में मायावाती सोशल इंजीनियरिंग छोड़ दलितों और मुसलमानों को एक मंच पर लाने में जुटी हैं. इससे पार्टी के ब्राह्मण नेता उनसे नाराज हैं. अधिकतर ब्राह्मण नेता उनका साथ भी छोड़ गये हैं. हालांकि सतीश मिश्रा अभी भी मायावती के साथ मजबूती के साथ खड़े हैं.

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