समझौते के मूड में नहीं दिख रहे अखिलेश यादव
लखनऊ : क्या मुलायम परिवार में जारी जंग अपने निर्णायक दौर में पहुंच गयी है? यह सवाल आज लोगों के मन में सहज ही उठ रहा है, क्योंकि तमाम प्रयासों के बावजूद मुलायम परिवार में जारी जंग रूक नहीं रही है. आज पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं पहुंचे. जबकि […]
लखनऊ : क्या मुलायम परिवार में जारी जंग अपने निर्णायक दौर में पहुंच गयी है? यह सवाल आज लोगों के मन में सहज ही उठ रहा है, क्योंकि तमाम प्रयासों के बावजूद मुलायम परिवार में जारी जंग रूक नहीं रही है. आज पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं पहुंचे. जबकि बैठक से पहले पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के घर पार्टी के कई नेताओं ने बैठक की. आजम खां और बेनी प्रसाद जैसे नेताओं ने भी पार्टी में जारी जंग को सुलझाने का प्रयास किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
समझौते के मूड में नहीं दिख रहे हैं अखिलेश
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच जारी विवाद में अखिलेश समझौते के मूड में नहीं दिख रहे हैं और उन्होंने अपनी नाराजगी खुले तौर पर जाहिर की है. हालांकि उन्होंने बीचबचाव के लिए मुलायम सिंह यादव द्वारा किये गये निर्णयों पर सवाल नहीं उठाया, लेकिन उन्होंने अपनी नाराजगी जता दी. उन्होंने मीडिया से यह भी कहा था कि जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया तो उन्हें बुरा लगा था और इसी के जवाब में उन्होंने शिवपाल यादव से कई विभाग वापस लिये थे. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि मुलायम उनके पिता हैं और शिवपाल उनके चाचा, जिसे वे बदल नहीं सकते, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था मुझे राजनीति में किनारे नहीं किया जा सकता.
भविष्य की राजनीति कर रहे हैं अखिलेश
राजनीति के जानकारों का ऐसा मानना है कि अखिलेश यादव इस बार के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर राजनीति नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे प्रदेश की राजनीति में अपना भविष्य सुनिश्चित कर रहे हैं, यही कारण है कि वे अपनी छवि के साथ समझौता नहीं करना चाह रहे हैं. अखिलेश के साथ प्रदेश की जनता की सहानुभूति भी है, क्योंकि वे युवा हैं और लोगों का ऐसा मानना है कि अगर उन्हें अपनी इच्छा से काम करने दिया जाये, तो वे प्रदेश के लिए काफी कुछ कर सकते हैं. कौमी एकता दल के मुख्तार अंसारी का विरोध अखिलेश ने इसी कारण से किया था.
मुलायम के निर्णयों से हुआ अखिलेश को नुकसान
कहा जाता है कि मुलायम पुत्र मोह से ग्रसित हैं, लेकिन इस बार मुलायम के परिवार में जो जंग हुई, उसमें जाने-अनजाने मुलायम ने अखिलेश का नुकसान किया है. चूंकि शिवपाल जमीन से जुड़े हैं और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ है इसलिए मुलायम उनका साथ चाहते हैं और उन्होंने शिवपाल को साथ रखने के लिए अखिलेश को कई बार नीचा देखने पर मजबूर किया. उनके कई फैसले बदलावाए. इससे शिवपाल और अखिलेश के बीच जारी जंग थमी नहीं, बल्कि और मुखर रूप में सामने आयी.
चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ेगा नुकसान
अखिलेश और मुलायम के बीच जारी जंग के कारण पार्टी दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है. युवा बिग्रेड अखिलेश के साथ है, तो मुलायम शिवपाल का साथ दे रहे हैं, हालांकि रामगोपाल यादव ने अखिलेश का साथ दिया है. इस पूरे झगड़े से जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है, जिसका फायदा मायावती की पार्टीकोमिल सकता है. यही कारण है कि वह दलितों और मुसलमानों को साथ लाने में जुटी हैं. उन्होंने यहां तक कहा है कि मुलायम यह जान चुके हैं कि पार्टी इस चुनाव में हार जायेगी, इसलिए उन्होंने अखिलेश को बचाने और हार का ठीकरा शिवपाल के सिर फोड़ने के लिए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है.