जानिये, समाजवादी पार्टी के अंदर कब से सुलग रही थी चिंगारी
लखनऊ : समाजवादी पार्टी का झगड़ा अब निर्णायक मोड़ पर है. सीएम अखिलेश यादव ने आज 4 मंत्रियों को बर्खास्त कर संकेत दे दिया है कि वो समझौते के मुड में नहीं है. अखिलेश ने अमर सिंह पर समर्थकों पर कार्रवाई करते हुए यह संकेत देने की कोशिश की है कि पिता – पुत्र के […]
लखनऊ : समाजवादी पार्टी का झगड़ा अब निर्णायक मोड़ पर है. सीएम अखिलेश यादव ने आज 4 मंत्रियों को बर्खास्त कर संकेत दे दिया है कि वो समझौते के मुड में नहीं है. अखिलेश ने अमर सिंह पर समर्थकों पर कार्रवाई करते हुए यह संकेत देने की कोशिश की है कि पिता – पुत्र के बीच दरार डालने वाले अमर सिंह है.
अखिलेश नेजयाप्रदा को भी फिल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया. बैठक में शामिल सूत्रों के अनुसार अमर के समर्थकों पर कार्रवाई जारी रहेगी. एक वक्त था जब अखिलेश अमर सिंह को चाचा कहकर संबोधित करते थे. अब अमर के खिलाफ उनके मन में इतनी खटास आ गयी है की अखिलेश समर्थक अब उन्हें दलाल कहकर संबोधित कर रहे हैं.
सपा में हुई रार का ठिकरा अमर सिंह पर फोड़ा जा रहा है. विधायकों के साथ हुई बैठक में अखिलेश ने अमर सिंह के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की. उन्होंने विधायकों को सीधा संकेत दे दिया कि जो व्यक्ति अमर सिंह के साथ है वो उनके कैबिनेट में नहीं रह सकता. बैठक में शामिल सूत्रों के अनुसार अमर सिंह के खिलाफ अखिलेश की कड़वाहट से साफ है कि वो पार्टी में फूट के लिए अमर को ही जिम्मेदार मानते हैं. मुलायम से वरिष्ठ नेताओं ने बैठक कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की थी लेकिन अखिलेश यादव ने विधायकों के साथ हुई बैठक में कठोर फैसला लिया. अखिलेश ने यह संकेत देने की कोशिश की है कि वो पार्टी में अमर समर्थकों की सफाई चाहते हैं.
कैसे पड़ी पार्टी में दरार
अमर सिंह ने एक मीडिया हाउस के मालिक के लिए पार्टी रखी थी . एक वेब पोर्टल के अनुसार इस पार्टी में अमर सिंह ही नहीं सीएम अखिलेश के कई और विरोधी तथा अमर सिंह के समर्थक शामिल थे. एक व्यक्ति ने अपने निजी ट्विटर एकाउंट पर मुलायम के हवाले से यह टिप्पणी की थी " अखिलेश यादव अगर मेरा बेटा नहीं होता तो कोई स्वीकार नहीं करता ". पार्टी में मौजूद सूत्रों के अनुसार अमर ने भी अखिलेश के खिलाफ कुछ बातें कही जिसकी जानकारी अखिलेश को मिल गयी यी. अमर पर आरोप लगा कि वो अखिलेश के खिलाफ मुलायम को भी भड़काते आये हैं साथ ही उनकी नजदीकी चाचा शिवपाल के साथ भी थी.
शिवपाल अमर सिंह का खुलकर बचाव करते थे. मुलायम सिंह ने इससे पहले कई बार रैलियों और सभाओं में अखिलेश को ठीक से काम करने की नसीहत दी थी. इस पर जब अखिलेश से सवाल किये जाते थे, तो अखिलेश यह बोल कर निकल जाते थे कि पिता है डांटना उनका अधिकार है. सपा सूत्रों की मानें तो अमर सिंह की पार्टी में वापसी के बाद अखिलेश और मुलायम के रिश्ते में तल्खी आने लगी. इसका अहम कारण बने अमर सिंह.
कहां भड़की चिंगारी
अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल और अमर सिंह के चीफ सेक्रेटरी को बाहर कर दिया. इसके जवाब में अखिलेश की जगह शिवपाल को सपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इसके बाद अखिलेश ने शिवपाल से कई अहम विभाग छिन लिये. इसके बाद खबरें आयी की शिवपाल पार्टी से इस्तीफा दे देंगे. मुलायम ने किसी तरह उन्हें मनाने की कोशिश की.
अखिलेश और शिवपाल ने उस वक्त अलग- अलग चैनल पर अपनी बात रखी थी. एक चैनल को दिये इंटरव्यू में शिवपाल ने पूरे मामले पर सफाई दी और खुद को पार्टी का सच्चा कार्यकर्ता बताया वहीं अखिलेश ने यह साफ करने की कोशिश की थी उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता. इसके बाद भी सपा में टिकट बंटवारे और चुनाव की रणनीति को लेकर मतभेद जारी रहे. समय – समय पर दोनों तरफ से प्रतिक्रियाएं आती रही. रही सही कसर चिट्ठी ने पूरी कर दी जिसमें सौतेली मां और अखिलेश से सौतेले व्यवहार की बात लिखी गयी.
अमर सिंह ने दी थी इस्तीफे की धमकी
अमर सिंह पर जब आरोप लग थे तो उन्होंने अपनी सफाई में कहा था कि अखिलेश उनके बेटे की तरह है. वो कभी उन्हें नुकसना पहुंचाने की नहीं सोच सकते. उस वक्त अमर सिंह ने कहा था क वह अपना इस्तीफा पार्टी के नेता को नहीं बल्कि हामिद अंसारी को देंगे. इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू उनके आदर्श हैं. अमर सिंह आगे कहते हैं कि अखिलेश यादव फोन पर नहीं आते हैं, जब उनसे फोन पर बात करने की कोशिश की जाती है तो उनके सचिव कहते हैं कि आपका नाम लिस्ट में डाल दिया गया है, उन्होंने कहा कि राज्यसभा में हमको मूक बधिर बना दिया गया है. मुलायम सिंह नेता हैं या नहीं यह तय करना होगा, लेकिन मैं मुलायमवादी हूं. मुलायम सिंह की वजह से आया था, मुलायम सिंह की इज्जत करता हूं. अब ताजा हमलों के बाद अमर सिंह की अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.