शाह ने कहा – कल्याण सिंह जैसी सरकार देगें, मायावती ने माफी मांगने को कहा

लखनऊ : बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा उत्तर प्रदेश में ‘कल्याण सिंह जैसी सरकार’ देने के वायदे की निंदा करते हुए आज कहा कि सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार 1992 में असंवैधानिक कार्य के लिए बर्खास्त की गयी थी. मायावती ने यहां एक बयान में कहा, ‘मुख्यमंत्री के तौर पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 27, 2016 10:38 PM

लखनऊ : बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा उत्तर प्रदेश में ‘कल्याण सिंह जैसी सरकार’ देने के वायदे की निंदा करते हुए आज कहा कि सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार 1992 में असंवैधानिक कार्य के लिए बर्खास्त की गयी थी. मायावती ने यहां एक बयान में कहा, ‘मुख्यमंत्री के तौर पर असंवैधानिक और उच्चतम न्यायालय की अवमानना के कारण बर्खास्त होने वाली तथा सजायाफ्ता व्यक्ति कल्याण सिंह जैसी भाजपा सरकार देने का वायदा करके उन्होंने (शाह) ने प्रदेश की 22 करोड़ जनता का अपमान करने की कोशिश की है. इसके लिए उन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘शाह को मालूम होना चाहिए कि 1992 में कल्याण सिंह की सरकार को खराब कानून व्यवस्था तथा अदालत एवं संविधान की अवमानना के कारण बर्खास्त किया गया था और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था.’ बसपा सुप्रीमो ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के कार्यकाल में ना तो देश की सीमा सुरक्षित है और ना ही भाजपा शासित राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर है. वर्तमान समय में 2014 जैसी स्थिति नहीं है. पूरे देश के लोग देख रहे हैं कि भाजपा जो भी दावे करती है, उनमें सच्चाई कम छलावा ज्यादा होता है. सीमा की सुरक्षा का उनका दावा भी गलत है क्योंकि सीमा पर गोलीबारी में हर दिन हमारे जवान शहीद हो रहे हैं.

मायावती ने कहा कि बसपा के शासन के दौरान अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था की बेहतरीन रही स्थिति के संबंध में भाजपा अध्यक्ष द्वारा मिथ्या प्रचार करना राजनीति से प्रेरित प्रयास है. केवल बसपा के शासनकाल में हर प्रकार के माफिया और अपराधी सलाखों के पीछे बंद किये गये थे. संप्रग के भ्रष्टाचार के लिए बसपा को दोषी ठहराने की शाह की टिप्पणी को अनुचित करार देते हुए मायावती ने कहा कि बसपा संप्रग सरकार में कभी शामिल नहीं रही बल्कि भाजपा जैसी घोर सांप्रदायिक शक्तियों को केंद्र की सत्ता से दूर रखने के प्रयास में संप्रग को बाहर से समर्थन दिया था.

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