लोहियावादियों को एकजुट करने में जुटे शिवपाल ने की अजीत सिंह से मुलाकात
नयी दिल्ली :समाजवादी पार्टी के नेता और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव ने आज राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह से उनके दिल्ली आवास पर मुलाकात की. यह मुलाकात काफी सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई. अजीत सिंह से भेंट के बाद शिवपाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम यह नहीं […]
नयी दिल्ली :समाजवादी पार्टी के नेता और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव ने आज राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह से उनके दिल्ली आवास पर मुलाकात की. यह मुलाकात काफी सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई.
अजीत सिंह से भेंट के बाद शिवपाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम यह नहीं चाहते हैं कि भाजपा जैसी शक्तियां उत्तर प्रदेश में मजबूत हों, इसलिए हम प्रदेश में धर्मनिरपेक्ष और लोहियावादियों को साथ लाना चाह रहे हैं. अजीत सिंह ने भी इस मुलाकात के बारे में बोलते हुए शिवपाल यादव की बात का समर्थन किया.
#FLASH Shivpal Yadav reaches Rashtriya Lok Dal (RLD) chief Ajit Singh's residence in Delhi pic.twitter.com/4tsFY9kvMj
— ANI (@ANI) October 28, 2016
We want secular forces and Lohiawadis to come together, can't let BJP get a foothold in UP: Shivpal Yadav after meeting RLD's Ajit Singh pic.twitter.com/4Qnf842W4L
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 28, 2016
पार्टी में जारी रार के कारण गंठबंधन के मूड मेंहैंशिवपाल
राजनीति के जानकारों का कहना है कि शिवपाल राजनीति के मंजे खिलाड़ी हैं, वे इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यदि अखिलेश यादव उनके विरुद्ध जाते हैं और कोई नयी पार्टी बनाते हैं, तो कहीं लोहियावादी उनके साथ ना चले जायें. इस बात से आशंकित शिवपाल ने शरद यादव से मुलाकात की है. शिवपाल यह जानते हैं कि अगर अखिलेश उनसे दूर गये, तो पार्टी परेशानी में आ जायेगी और ऐसे में अगर कोई गंठबंधन होता है, तो उसमें शिवपाल शामिल हों ना कि अखिलेश.
अखिलेश और शिवपाल के बीच सुलह के आसार नहीं
अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच दूरियां लगातार बढ़ती गयी है. सपा की बैठक में शिवपाल ने जिस तरह अखिलेश पर हमला बोला उससे लगता नहीं है कि उनके बीच सबकुछ ठीक हो पायेगा. हालांकि वे यह कहते आये हैं कि नेताजी का जो आदेश होगा वे करेंगे, लेकिन इस बार नेताजी भी अखिलेश को लताड़ने में जुटे हैं, ऐसे में सुलह की गुंजाईश बहुत कम है, क्योंकि अखिलेश यह तो कहते हैं कि वे नेताजी के कहने पर पद भी छोड़ देंगे, लेकिन बर्खास्त मंत्रियों को अबतक मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है.