नयी दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेता एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने 2017 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन को लेकर संकेत दिया है कि सपा के साथ कांग्रेस कोई गठबंधन बनाने की कोशिश नहीं कर रही है.साथ ही राज बब्बरने स्पष्ट करते हुए कहा कि गठबंधन या साझेदारी को लेकर कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की होने वाली किसी बातचीत के लिए कांग्रेस ने उन्हें अधिकृत नहीं किया है.
न्यूज चैनल एनडीटीवीसेबातचीत में प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने बुधवार को कहा, यह आजाद मुल्क हैऔर वह (प्रशांत किशोर) किसी से भी मिल सकते हैं. मुझे नहीं लगता, कांग्रेस ने उन्हें (प्रशांत किशोर को) ऐसा करने के लिए अधिकृत किया है. मालूम हो कियूपी में कुछ ही महीने में चुनाव होने जा रहे हैं और फिलहाल सत्तासीन सपा में शीर्ष स्तर पर लंबे अरसे से अंदरूनी कलह जारी है. बॉलीवुड अभिनेता से नेता बने राज बब्बर इस समय कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख हैं. वह वर्ष 2008 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले तक समाजवादी पार्टी का ही हिस्सा रहे हैं.
मुलायम से मिले प्रशांत, घंटों हुई बातचीत
उत्तर प्रदेश में चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति तय करने का उत्तरदायित्व संभाल रहे प्रशांत किशोर ने मंगलवार रात को दिल्ली में मुलायम सिंह यादव के आवास पर मुलाकात की. इस दौरान दोनों के बीच कई घंटों तक बातचीत का सिलसिला चला. इस बैठक में कुछ देर के लिए अमर सिंह भी मौजूद थे. मुलायम उन्हें अपना भरोसेमंद सहयोगी और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन अखिलेश इससे सहमत नहीं हैं.
नीतीश-लालू-कांग्रेस को एक साथ लाने में प्रशांतकीअहम भूमिका
रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह के साथ हुई बैठक में उसी तरह के संभावित महागठबंधन की रूपरेखा पर चर्चा हुई, जिसने पिछले साल बिहार में चुनाव जीता था. बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही भाजपा के खिलाफ नीतीश कुमार, उनके पूर्व प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद यादव तथा कांग्रेस को एक साथ लाने में प्रशांत किशोर की महती भूमिका रही थी.
सपा के साथ आने से कांग्रेस को लाभ
राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तोकांग्रेस को समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने पर लाभ हो सकता है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव की पार्टी को 29 फीसदी वोट मिले थे और वे 224 सीटें जीतने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस ने सीटें भले ही सिर्फ 28 जीती थीं लेकिन उन्हें 11 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन हो जाने से न सिर्फभाजपा से मुकाबला करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससेबसपा की दलित नेता मायावती पर भी रोक लगाने में कामयाबी मिल सकती है.