लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को एक विवादास्पद बयान दे दिया है. उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्रियों का मत है कि वैश्विक मंदी के दौर में कालेधन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा दिया था. अखिलेश ने कहा कि ये बात एकदम स्पष्ट है. कालाधन पैदा नहीं होना चाहिए. कभी-कभी आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि कालेधन की समानांतर अर्थव्यवस्था के चलते वैश्विक आर्थिक मंदी का असर भारत में उतना महसूस नहीं हुआ.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इंडो-म्यामांर-थाईलैंड मैत्री कार रैली को हरी झंडी दिखाने के बाद ये भी कहा कि वह कालेधन के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि मैं कालेधन के खिलाफ हूं. मैं इसके पक्ष में नहीं हूं. उनकी ये टिप्पणी 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी के बाद बैंकों और एटीएम पर लगी कतारों के परिप्रेक्ष्य में की है. उन्होंने कहा कि जिस सरकार ने गरीब को तकलीफ दी, उसे जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. मोदी सरकार ने आम आदमी को गहरी पीड़ा दी है.
अखिलेश का मानना है कि नोटबंदी से कालाधन रोकने का उद्देश्य हल नहीं होगा. उन्होंने शनिवार को कहा था कि यह अच्छी बात है. भ्रष्टाचार रुके और जनता जागरुक हो कि भ्रष्टाचार ना किया जाए, लेकिन केवल 500 और 1000 के नोट बंद करने से ये समस्या दूर होने वाली नहीं है. जिनके पास 1000 और 500 के नोट हैं, वे अब दो हजार रुपये के नोट का इंतजार कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि निजी अस्पतालों और दवा की दुकानों पर 500 और 1000 रुपये के नोट 30 नवंबर तक चलाने की अनुमति दी जाये, ताकि गरीबों को चिकित्सकीय सुविधा सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने 500 और 1000 के नोट बंद होने से किसानों को हो रही असुविधा के मद्देनजर केंद्र से राहत दिये जाने की मांग की है.