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कानपुर रेल हादसा : मृतकों की संख्या बढ़कर 150 हुई, झांसी डीआरएम का तबादला, पांच अधिकारी निलंबित

कानपुर :इंदौर पटना रेल हादसे को लेकर कार्रवाई करते हुए रेलवे ने आज झांसी मंडल के मंडलीय रेल प्रबंधक (डीआरएम) एसके अग्रवाल का तबादला कर दिया और पांच वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया. इस हादसे में 150 लोगों की मौत हुई है. रेलवे के मुताबिक, वरिष्ठ मंडलीय यांत्रिक इंजीनियर (गाडी और डिब्बे) नवेद तालिब, […]

कानपुर :इंदौर पटना रेल हादसे को लेकर कार्रवाई करते हुए रेलवे ने आज झांसी मंडल के मंडलीय रेल प्रबंधक (डीआरएम) एसके अग्रवाल का तबादला कर दिया और पांच वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया. इस हादसे में 150 लोगों की मौत हुई है.

रेलवे के मुताबिक, वरिष्ठ मंडलीय यांत्रिक इंजीनियर (गाडी और डिब्बे) नवेद तालिब, मंडलीय इंजीनियर एमके मिश्र, वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर अंबिका प्रसाद ओझा, सेक्शन इंजीनियर ईश्वर दास और वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर सुशील कुमार गुप्ता को ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए निलंबित कर दिया गया है.

झांसी के डीआरएम का तबादला रांची कर दिया गया है जबकि पांच अधिकारियों को जांच पूरी होने तक निलंबित किया गया है. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ जिम्मेदारी तय करने के लिए कार्रवाई जरुरी थी. तबादला और निलंबन का आदेश जांच पूरी होने तक जारी किए गए हैं जो रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) कर रहे हैं.” प्रथम दृष्टता जांच के मुताबिक, इंदौर-पटना एक्सप्रेस के 14 कोच झांसी मंडल में कानपुर के पास पुखरायां में रेल की पटरी टूटी होने की वजह से पटरी से उतर गए थे.

* ड्राइवरों के खून के नमूने जांच के लिये भेजे गये

मुख्य संरक्षा आयुक्त (पूर्व) पीके आचार्य ने आज कहा कि इंदौर पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में दोनों ड्राइवरों के खून के नमूने जांच के लिये भेजे गये है. पुखरायां में दुर्घटनास्थल के रेलवे ट्रैक टूटी हुई पटरियों को मंगा लिया गया है और उन्हें जांच के लिये आरडीएसओ प्रयोगशाला भेजा जा रहा है. इधर इस हादसे में मरने वालों की संख्‍या बढ़ कर 150 हो गयी है.जकी अहमद, आईजी कानपुर ने इसकी जानकारी मी‍डिया के दी है.

आचार्य आज शाम कानपुर रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ट्रेन के ड्राइवर और सहायक ड्राइवर के खून के नमूने जांच के लिये भेजे गये है. अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है, रिपोर्ट आने के बाद ही किसी सवाल का जवाब दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कल 21 नवंबर का वह पुखरायां गये थे और उन्होंने घटनास्थल का मुआयना किया था और पूरे घटनास्थल और ट्रेन के डिब्बों के अंदर तथा रेलवे ट्रैक की वीडियोग्राफी भी करवाई थी. टूटी हुई पटरी के नमूनों को आज यहां मंगवा लिया गया है और उन्हें जांच के लिये आरडीएसओ प्रयोगशाला भेजा जा रहा है.

आचार्य से पूछा गया कि कुछ यात्रियों का कहना था कि ट्रेन के डिब्बों से आवाज निकल रही थी. इस बात पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि पटरी खराब थी या डिब्बे खराब थे. जब जांच होगी तब ही इस बात का पता चल पायेगा. उन्होंने कहा कि आज सुबह 11 बजे से जांच का काम शुरु हुआ है. अभी तक ड्राइवर, असिस्टेंट ड्राइवर और एक पुलिस इंस्पेक्टर के अलावा कुछ अन्य लोगों के बयान दर्ज हुए है. इन लोगों से अभी कई और राउंड बात और पूछताछ होगी. अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि इस दुर्घटना के लिये कौन जिम्मेदार है.

आचार्य से पूछा गया कि जीआरपी पुलिस ने भी कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर लिखाई है और वह भी इस मामले में जांच कर रहे है. इस पर आचार्य ने कहा कि उन्हें उनकी जांच से कोई मतलब नहीं है. हमारी जांच स्वतंत्र है और इसका पुलिस की जांच से कोई लेना देना नहीं है. हमारी जांच रेल मंत्रालय के अधीन नहीं है, हम अपनी रिपोर्ट एक माह बाद रेल मंत्रालय को सौपेंगे. उसके बाद जो भी कार्रवाई करनी होगी वह रेलवे करेगी.

उन्होंने कहा, ‘मेरा काम केवल दुर्घटना के कारणों को जानना, दुर्घटना के लिये कौन जिम्मदार है उसकी पहचान करना और भविष्य में ऐसी दुर्घटनायें न हो इसके लिये सरकार को उपाय बताना है न कि कोई कार्रवाई करना है.’ उनसे जब पूछा गया कि क्या आपकी जांच कब समाप्त हो जायेगी इस पर उन्होंने कहा कि अगर सबसे पूछताछ हो जायेगी और हम संतुष्ट हो जायेंगे तब जांच खत्म हो जायेगी. फिर हम बाकी रिपोर्ट का इंतजार करेंगे और फिर अपनी फाइनल रिपोर्ट बनाकर सौपेंगे. इसमें एक महीने का समय लगेगा.

आचार्य ने कहा, ‘ट्रेन के यात्री जो भी जानकारी देना चाहते है वह ईमेल के जरिये या खुद आकर दे सकते है. इसके अलावा यात्री मेरे पते पर जो आज समाचार पत्रों में छपा है उस पर भी भेज सकते है. यात्रियो के अलावा अगर कोई अन्य व्यक्ति घटना से संबंधित कोई फोटोग्राफ, वीडियो या अन्य जानकारी मुझे भेजना चाहता है तो वह मेरे कोलकाता स्थित आफिस में भेज सकता है.’

उन्होंने मीडिया से अपील की कि वह उनकी जांच में सहयोग करें और ज्यादा सवाल न पूछें क्योंकि वह इस घटना से संबंधित कोई भी बात मीडिया के साथ बांटना नहीं चाहेंगे बल्कि उसे अपनी रिपोर्ट में मंत्रालय को सौपेंगे. कानपुर रेलवे स्टेशन पर स्थित डिप्टी सीटीएम कार्यालय में जांच इतनी गोपनीय तरीके से चल रही थी कि दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के ड्राइवर और सहायक ड्राइवर को कब पूछताछ के लिये लाया गया और फिर कहां छिपा दिया गया. इसके बारे में कार्यालय के बाहर मीडियाकर्मियों को भनक तक नहीं लगी. कार्यालय के बाहर भारी मात्रा में रेलवे पुलिस भी तैनात थी.

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