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परिवर्तन रैली में बोले पीएम मोदी, हम भ्रष्टाचार बंद करने में लगे हैं और कुछ लोग भारत बंद करने में

कुशीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में परिवर्तन रैली को संबोधित किया. उन्होंने रैली में कालेधन और गरीबे के मुद्दे पर एक बार फिर जोर दिया. उन्होंने भारत बंद पर कटाक्ष करते हुए कहा हम भ्रष्ट्राचार बंद करने में लगे हैं और कुछ लोग भारत बंद करने में . आप […]

कुशीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में परिवर्तन रैली को संबोधित किया. उन्होंने रैली में कालेधन और गरीबे के मुद्दे पर एक बार फिर जोर दिया. उन्होंने भारत बंद पर कटाक्ष करते हुए कहा हम भ्रष्ट्राचार बंद करने में लगे हैं और कुछ लोग भारत बंद करने में . आप ही बताइये क्या बंद होना चाहिए भ्रष्ट्राचार या भारत. देश अच्छी दिशा में जा रहा है.

गरीब के हित की सोच रहा है. अपने संबोधन की शुरूआत भोजपुरी में की. मोदी ने इसी भाषा में कुशीनगर के महत्व को समझाया. उन्होंने कबीर को याद किया. सभा में मौजूद भीड़ को देखकर पीएम ने कहा, इतनी भीड़ तो पहले की सभा में भी नहीं हुई. दिल्ली की सरकार गरीब, गांव और किसानों को समर्पित है. यहां गन्ना का किसान बहुत परेशानियों से गुजरा है. चीनी मिलें जीवन के लिए चुनौती बन गयी. मैं आपका सेवक हूं आपने मुझे बहुत दिया है. मैं उसका कर्च चुकाने आया हूं. देने वाली सरकार नहीं आम जनता है.

गन्ना किसानों की परेशानी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 2014-15 में गन्ना किसानों का बकाया 22 हजार करोड़ रुपया था. अब शायद ही ऊंगली से गिन सकें उतना ही बकाया होगा. चीनी मिल वाले आये थे कहा, साहेब दाम कम हो गये पैकेज दे दो. पहली मीटिंग में मैंने उनसे कहा कि जितना मांगोंगे उतना देने के लिए तैयार हूं. वो खुश हो गये. मैंने बकाये का हिसाब मांगा. उनके पसीने छूट गये. फिर उन्होंने पैकेज से मना कर दिया.
सरकार ने फैसला किया गन्ना किसानों का फायदा सीधे किसानों को मिलेगा. बिचौलिया बीच में नही आयेगा. समस्याएं आती है लेकिन उसके रास्ते भी खोजे जा सकते हैं. कुछ चीनी मिलें बंद थी उनका कहना था कि उन्हें नुकसान हो रहा है. हमने उन्हें इनेनॉल बनाने के लिए कहा. इससे काफी मदद मिली. हमने 100 करोड़ लीटर का इथेनॉल बना दिया है. यूरिया के लिए किसानो को लंबी कतार लगती थी. उन्हें लाठी खानी पड़ती थी. यह बड़ा बदलाव कैसे आया. उस वक्त यूरिया किसानों के खेतों में नहीं कैमिकल कारखानों में चला जाता था. हमने यूरिया की नीमकोटिंग कर दी. कैमिकल के लिए यह यूरिया बेकार हो गया. पहले की सरकारें सब जानती थी. उन्हें किसान से ज्यादा पूंजीपतियों की चिंता था.

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