वाराणसी से मोदी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली एक याचिका आज खारिज कर दी. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की एकल पीठ ने मोदी के वकील द्वारा उठायी गई प्रारंभिक आपत्ति स्वीकार की और कांग्रेस विधायक अजय राय की याचिका खारिज कर दी. अजय राय 2014 […]
इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली एक याचिका आज खारिज कर दी. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की एकल पीठ ने मोदी के वकील द्वारा उठायी गई प्रारंभिक आपत्ति स्वीकार की और कांग्रेस विधायक अजय राय की याचिका खारिज कर दी. अजय राय 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट पर मोदी से हार गए थे.
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘याचिका को विचारणीय बनाने के लिए कोई भी सामग्री रिकार्ड में नहीं रखी गई।” अदालत का मानना था कि याचिका में ‘‘पर्याप्त दलीलें नहीं हैं.” अदालत ने साथ ही मोदी के प्रचार पर हुए खर्च को अनुमेय सीमा से अधिक होने के राय के आरोपों को ‘‘अस्पष्ट और बगैर स्पष्टीकरण वाला मीडिया की खबरों पर आधारित” करार दिया.
राय पिछले लोकसभा चुनाव में तीसरे नम्बर पर रहे थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी. उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि मोदी के चुनाव प्रचार में ‘‘50 करोड रुपये से अधिक खर्च” किया गया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि प्राचीन मंदिर वाले इस नगर में कई आलीशान होटलों को ‘‘24 अप्रैल, 2014 से 12 मई 2014 की अवधि के दौरान” बुक किया गया था. राय ने यह भी दावा किया था कि प्रचार करने तथा ‘‘हर हर मोदी घर घर मोदी” और ‘‘अबकी बार मोदी सरकार” जैसे नारों को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से ‘‘400 से अधिक वैन” लगायी गयी थीं.
यद्यपि अदालत ने मोदी के वकील एवं भारत के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल सत्यपाल जैन की दलील से सहमति जतायी कि ‘‘याचिकाकर्ता यह साबित करने के लिए रिकार्ड में कोई भी सामग्री पेश करने में असफल रहे कि ये खर्चे सीधे उम्मीदवार द्वारा अथवा उनके निर्देश पर उनके समर्थकों द्वारा किये गए. ”
अदालत ने कहा, ‘‘यह आरोप लगाते हुए कि 50 करोड रुपये से अधिक का खर्च किया गया याचिकाकर्ता यह निर्दिष्ट करने में असफल रहे कि ये भुगतान किसने किये, किसे किये और भुगतान का तरीका क्या था। इसमें स्पष्ट बातें नहीं बतायी गई हैं और आरोप मीडिया की खबरों पर आधारित ‘‘अस्पष्ट और बगैर स्पष्टीकरण वाले हैं.” न्यायाधीश ने सोमवार को अपना फैसला लिखाना शुरु किया था जो आज समाप्त हुआ.